नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार बेरोजगारी के मुद्दे को उठाए जाने के बीच संसद में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़े से बड़ा खुलासा हुआ है। केंद्र सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया है कि तीन वर्षों की अवधि में 25 हजार से ज्यादा लोगों ने बेरोजगारी और दिवालिया होने के कारण आत्महत्या कर ली। आत्महत्या करने वाले लोगों में सबसे अधिक तादाद ऐसे लोगों की थी जो कि या तो दिवालिया हो चुके थे या कर्ज़ के बोझ तले दबे हुए थे। 

यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में दी। नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि वर्ष 2018-20 की अवधि में 25 हजार से ज्यादा लोगों ने आर्थिक तंगी की वजह से खुद को मौत के गले लगा लिया।

राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़े के मुताबिक 16,091 लोगों ने दिवालिया होने और कर्ज़ के बोझ तले दबी होने की वजह से आत्महत्या कर ली। वहीं 9,140 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या कर ली। नित्यानंद राय। ने बताया कि यह आंकड़ा एनसीआरबी के आंकड़ों पर आधारित है। 

बेरोजगारी की वजह से सबसे अधिक लोगों ने 2020 में आत्महत्या की। 2020 में 3,548 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से खुदकुशी की। जबकि 2019 में 2,741 और 2018 में 2,851 लोगों को नौकरी न होने के कारण मौत को गले लगाने पर मजबूर होना पड़ा। 

वहीं दिवालिया होने के कारण सबसे अधिक लोगों ने 2019 में खुदकुशी करना मुनासिब समझा। 2019 में 5,908 लोगों ने आत्महत्या की। 2020 में 5,213 लोगों ने खुदकुशी की। जबकि 2018 में 4,970 लोगों ने दिवालिया होने की वजह से आत्महत्या कर ली। 

बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद दिए गए अपने भाषण में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर बढ़ती बेरोजगारी को लेकर बड़ा हमला बोला था। राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर देश की बड़ी आबादी को गरीबी रेखा में धकेल देने का भी आरोप लगाया था। कांग्रेस पार्टी लगातार देश में बढ़ती बेरजोगारी का मुद्दा उठाती रही है। अब खुद सदन में गृह राज्य मंत्री द्वारा पेश किए गए आंकड़े ने केंद्र सरकार की पोल खोल दी है।