नई दिल्ली। सोमवार को लखीमपुर खीरी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सीजेआई रमन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने योगी सरकार को जमकर फटकार लगाई। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की जांच कर रही एसआईटी की कार्यशैली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को इस मामले की जांच सौंपने की बात कह डाली। 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान योगी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील हरीश साल्वे को बताया कि कोर्ट मामले में चल रही जांच से संतुष्ट नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जांच को देखकर यही प्रतीत हो रहा है कि एक विशेष आरोपी को बचाने के लिए दो अलग अलग मामलों को ओवरलैप करने की कोशिश की जा रही है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसानों की हत्या और भीड़ द्वारा मारे गए लोगों का मामला अलग अलग है। लिहाज़ा इन दोनों मामलों को ओवरलैप करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दोनों ही मामलों के गवाहों से अलग अलग पूछताछ की जानी चाहिए।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अब तक मामले में की गई जांच के प्रति भी अपना असंतोष जाहिर किया। कोर्ट ने 26 अक्टूबर को हुई पिछली सुनवाई के दौरान मोबाइल टावर से डेटा लेने के लिए निर्देश दिया था। लेकिन इस मसले पर कोई ठोस जवाब न मिलने पर कोर्ट ने बिफरते हुए कहा कि क्या आरोपी के अलावा किसी अन्य व्यक्ति ने फोन का इस्तेमाल ही नहीं किया था?

कोर्ट ने एसआईटी द्वारा की जा रही जांच पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि कोर्ट, हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज को मामले की जांच की जिम्मेदारी सौंपना चाहता है। कोर्ट ने इसके लिए पंजाब हाई कोर्ट के पूर्व जज रंजित सिंह और राकेश कुमार के नाम की पेशकश कर दी। इस पर जवाब दाखिल करने के लिए योगी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से शुक्रवार तक का समय मांग लिया। जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई को शुक्रवार तक के लिए टाल दिया।