नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा है की हम किसानों की स्थिति समझते हैं और चाहते हैं कि जल्द ही बातचीत के जरिए मामले को सुलझा लिया जाए। सीजेआई ने कहा है कि 11 जनवरी को कृषि कानूनों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई होगी। सरकार के साथ किसानों की 8 जनवरी को नौवें दौर की बातचीत होनी है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वकील एम एल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस याचिका में शर्मा ने केंद्र सरकार की ओर से लाए तीनों कानूनों को खत्म करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस बोबड़े में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि किसान प्रदर्शन पर सुनवाई कब होनी है। मेहता ने कहा कि इस बारे में अभी तारीख तय नहीं हुई है साथ ही यह भी कहा कि दूसरे मामलों के साथ इसे न सुना जाए। 

सीजेआई ने कहा कि, 'हम सभी मामलों की सुनवाई एक साथ इसलिए करना चाहते हैं क्योंकि किसानों की मांग को लेकर अबतक कोई हल नहीं निकला है। सभी याचिकाओं पर हम सोमवार को एकसाथ सुनवाई करेंगे। सोमवार को यदि अटॉर्नी जनरल सुनवाई को टालने की मांग रखते हैं तो उसे टाल दी जाएगी। कोर्ट भी यही चाहता है की इस मामले पर बातचीत के जरिए हल निकाला जाए। किसानों के विरोध के बारे में अबतक स्थिति में कोई सुधार नहीं है।' इसपर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि इस बात की अच्छी संभावनाएं हैं कि निकट भविष्य में बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचे और यह गतिरोध समाप्त हो।

गौरतलब है कि देशभर के किसान पिछले 40 दिनों से कड़कड़ाती ठंड और बारिश में दिल्ली के बॉर्डर्स पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों का मांग है कि कृषि कानूनों को रद्द कर दिया जाए वहीं सरकार इनमें संसोधन पर अड़ी हुई है। इस दौरान सरकार और किसान संगठनों के बीच 8 दौर की बातचीत भी हो चुकी है लेकिन कानूनों को वापस न लेने की सरकार के अड़ियल रवैए के कारण बातचीत बेनतीजा रहा है। किसान संगठन और सरकार शुक्रवार को एकबार फिर से बातचीत करेंगे।