नई दिल्ली। देश में बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। आज कोरोना को लेकर नेशनल प्लान पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि हम विभिन्न राज्यों के हाई कोर्ट को सुनवाई करने से नहीं रोक रहे, लेकिन हम भी मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकते। 

जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस एलएन राव और जस्टिस रवींद्र एस भट्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि कुछ राष्ट्रीय मुद्दे ऐसे होते हैं जिसे सुप्रीम कोर्ट को ही डील करना चाहिए। राष्ट्रीय आपदा के समय हम मूक दर्शक बने नहीं रह सकते। हालांकि कोर्ट ने कहा कि हम हाई कोर्ट को सुनवाई से नहीं रोक रहे। हम एक पूरक की भूमिका की अदा कर रहे हैं, अगर हाई कोर्ट मामलों की सुनवाई के दौरान अपनी सीमित क्षमताओं के कारण किसी भी परेशानी का सामना करते हैं तो हम उनकी मदद करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते ऑक्सीजन, टीका और दवाइयों के वितरण के मामलों को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कहा था कि देश के 6 राज्यों के हाई कोर्ट भी इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं लेकिन इन मामलों में संसाधनों को लेकर काफी भ्रम है। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इन सुनवाइयों के उद्देश्य हाई कोर्ट की शक्तियों का दमन करना बिल्कुल भी नहीं है। तमाम हाई कोर्ट को अपने राज्यों की स्थिति ज़्यादा बेहतर तरीके से पता होती है। 

सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई अब 30 अप्रैल को करेगा। कोर्ट ने इससे पहले केंद्र सरकार को एक नया हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र से टीकाकरण को लेकर योजना के बारे में पूछा। इसके साथ ही वैक्सीन की उपलब्धता से भी जुड़े सवाल किए। इसके साथ ही कोर्ट ने वैक्सीन की अलग अलग कीमतों को लेकर भी सवाल किए। कोर्ट ने पूछा कि वैक्सीन की अलग अलग कीमत किस आधार पर निर्धारित की गई है?