जनवरी 1950 को जयपुर में कांग्रेस के 55 वां अधिवेशन होने जा रहा था। इसी दौरान नेहरू जी जयपुर के बालिका विद्यापीठ भी गये। जिनके स्वागत में छोटी-छोटी बालिकाएं कई तरह के नारे लगा रही थीं। जिनमें एक नारा बार-बार गूँज रहा था। "भारत माता की जय।" नेहरू जी ने शोर थमने के बाद बालिकाओं से पूछा, "मेरे प्यारे बच्चों, बताओ भारत माता कौन है?" सभी बालिका गुमसुम हो शिक्षकों की ओर देखने लगीं तब नेहरू जी ने मुस्कुराकर कहा, "अरे! इन्हें कहां मालूम। वास्तव में हमारा देश और उसके निवासी ही भारत माता हैं।"

...वे आगे बोले, "बच्चों, हमारा पूरा देश, इसके पहाड़, इसकी नदियाँ, गाँव, शहर सभी भारत माता है। देश के उद्योग, मशीनरी, सभी औजार भारत माता है। देश के सभी जाति-धर्म के लोग, अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, बूढ़े-बच्चे सभी लोग भारत माता हैं। हमें इनकी बेहतरी के लिये काम करना चाहिए। इनको विकास की ऊंचाइयों पर ले जाना चाहिए। संतान का काम माता की देखभाल करना है, उसको खुश रखना है। जिसमें देश के एक भी व्यक्ति की आँखें नम न हो। देश के संसाधनों से खिलवाड़ न हो। यदि आप ऐसा नहीं करते हो तो ये "भारत माता" के साथ धोखा है, छल है।" यह सुनकर वहाँ उपस्थित शिक्षक, बच्चे, स्वाधीनता सेनानी व उद्योगपति घनश्यामदास विड़ला भाव-विभोर हो गये।

सभी ने एक साथ जोर से कहा, भारत माता की जय।

समय के साथ इस नारे का दुरुपयोग होने लगा और इसके मायने ही बदल गये। इसके दम पर आज सरकारें बनने बिगड़ने लगीं, जिसे हम और आप बखूबी देख भी रहे हैं।