कोरोना महामारी से पूरे देश में हाहाकार मचा है। ऐसे में लॉक डाउन में फंसे लोगों की मदद करने की हज़ारों तस्वीरें भी सामने आईं हैं, जिनमें लोगों ने गरीब और बेसहारा लोगों की मदद कर मानवता की अद्भुत मिसाल पेश की है। इंसानों के साथ ही सड़कों पर घूमते जानवरों के लिए भी खाने और पानी की व्यवस्था की जा रही है। मुश्किल के इस दौर में हर शख्स की कोशिश है कि वह दूसरों के काम आ सके, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनों के ही काम नहीं आ रहे। हम बात कर रहे हैं एक पिता की, जिसने अपने बच्चों को घर में रखने से इंकार कर दिया है।

मामला भोपाल के अरेरा कॉलोनी इलाके का है। जहां एक पिता ने अपने बच्चों को घर में रखने से मना कर दिया। लॉकडाउन के चलते परेशान पत्नी ने पति से साथ रहने और बच्चों के पालन पोषण की गुहार लगाई तो पति ने पुलिस को बुला लिया। मामला थाने पहुंचा, जिसके बाद पुलिस ने भी व्यक्ति को पत्नी और बच्चों को साथ रखने के लिए काफी समझाया लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी और अपने बच्चों को दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया।

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दरअसल भोपाल में रहने वाले जगदीश का पत्नी सोनाली (दोनों परिवर्तित नाम) से विवाद पर भोपाल जिला कोर्ट में केस चल रहा है। सोनाली ने जहां मेंटनेंस का केस लगाया है, वहीं जगदीश ने सोनाली के खिलाफ धारा-9 हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत डेढ़ साल पहले केस लगाया है। दोनों ही केस कोर्ट में पेंडिंग हैं। कोर्ट में दोनों पक्षकारों की काउंसलिंग एडवोकेट सरिता राजानी कर रही हैं।

काउंसलर सरिता राजानी ने बताया कि अरेरा कॉलोनी में रहने वाले जगदीश और सोनाली की साल 2010 में शादी हुई। दोनों के दो बच्चे 7 साल की बेटी और 4 साल का बेटा है। बेटे के जन्म बाद जगदीश ने प्राइवेट जॉब छोड़ दी, तो सास-ससुर ने बेटे-बहू को घर से निकाल दिया। इसके बाद दोनों अपने बच्चों के साथ भोपाल में ही किराए के मकान में रहने लगे। एक महीने बाद जगदीश अपने माता-पिता के पास वापस चला गया। उसने सोनाली को साथ रखने से इंकार कर दिया। सोनाली ने कोर्ट की शरण ली और बच्चों की परवरिश के लिए पति जगदीश के खिलाफ मेंटनेंस का केस लगाया, तो जवाब में जगदीश ने उस पर धारा-9 हिंदू विवाह अधिनियम के अंतर्गत केस फाइल कर दिया। दोनों ही मामले कोर्ट में पेंडिंग हैं और दोनों पक्षकारों की काउंसलिंग की जा रही है।

काउंसलर के मुताबिक जगदीश अपने माता-पिता के साथ अरेरा कॉलोनी में रहता है और प्राइवेट जॉब करता है। वहीं सोनाली अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रहती है और सिलाई का काम करके बच्चों की परवरिश करती है। लॉक डाउन के चलते उसका सिलाई का काम बंद हो गया। पिछले डेढ़ महीने में उसने जैसे-तैसे घर का खर्च चलाया, लेकिन अब घर चलाने के पैसे नहीं हैं। मकानमालिक भी किराए के लिए लगातार तस्दीक कर रहा है। ऐसे में मंगलवार को सोनाली अपने पति के घर पहुंची। उसने अपनी स्थिति बताते हुए, लॉक डाउन के मुश्किल समय में सास और पति जगदीश से बच्चों के साथ उसे घर में रखने की गुहार लगाई। जगदीश ने अपने बच्चों को सहारा देने की जगह पुलिस को बुला लिया। मामला थाने पहुंचा तो पुलिस ने भी जगदीश से पत्नी और बच्चों को साथ रखने की समझाइश दी, लेकिन उसका कहना था कि मामला कोर्ट में चल रहा है, कोर्ट जब फैसला करेगी तभी मैं भरण पोषण के लिए मदद करूँगा। पुलिस के काफी समझाने के बावजूद भी एक पिता का दिल नहीं पिघला और उसने अपनी पत्नी सहित बच्चों को दर दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया।

मानवीयता को शर्मसार करता फैसला : राजानी

फैमिली कोर्ट काउंसलर सरिता राजानी ने हम समवेत से कहा कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में आज राह चलते इंसान के लिए भी लोग मदद का हाथ आगे बढ़ा रहे हैं ऐसे में एक पति और पिता द्वारा किया गया क्रूर फैसला मानवीयता को शर्मसार करता है।