गुना। मध्य प्रदेश में दलित और आदिवासियों के साथ दुर्व्यवहार और शोषण की घटनाएं आम हैं। हालांकि, अब सत्ताधारी दल के निर्वाचित विधायक भी खुद अपनी पार्टी में शोषित महसूस कर रहे हैं। गुना से भाजपा विधायक पन्नालाल शाक्य ने कहा कि वे आरक्षित सीट से निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं इस कारण उनकी अनदेखा हो रही है। उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

विधायक शाक्य ने बुधवार को मीडिया से कहा कि 2013 से 2018 के बीच उनके कार्यकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुना को नगर निगम बनाने की घोषणा की थी। अब प्रशासन इस दिशा में काम कर रहा है और हाल ही में कलेक्टर ने एक बैठक बुलाई थी, जिसमें वह स्वयं भी शामिल हुए थे। इस बैठक में 36 गांवों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया, लेकिन हरिपुर पंचायत को हटाने की बात कही गई।

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि हरिपुर पंचायत को क्यों हटाया जा रहा है? वहां FDDI (फुटवियर डिजाइन एंड डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट) है। हम तो चाहते हैं कि उसका विकास हो। अभी तो कई सरकारी भवनों का उपयोग निजी फायदे के लिए हो रहा है- कहीं भूसा रखा है, तो कहीं जानवर बंधे हैं। हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

विधायक ने कहा कि उन्होंने कई विकास संबंधी प्रस्ताव दिए, जैसे विवेक कॉलोनी से बायपास तक नदी पर पुल निर्माण, जिससे ट्रैफिक की समस्या का समाधान हो सके। लेकिन चूंकि यह प्रस्ताव उन्होंने दिया है, इसलिए उस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता। उन्होंने कहा, 'हम जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि हैं, लेकिन शासन में हमारी बात की कोई स्वीकार्यता नहीं है। वहीं, जिनका कोई निर्वाचित या चयनित पद नहीं है, उनकी बातों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह बहुत गंभीर स्थिति है।'

भाजपा विधायक ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी उन्होंने हरिपुर को नगर निगम में शामिल किए जाने की बात की थी। कलेक्टर और भाजपा जिलाध्यक्ष ने भी इस संबंध में सिंधिया से चर्चा की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिर में भावुक होते हुए विधायक पन्नालाल शाक्य ने कहा कि मैं आरक्षित सीट से विधायक हूं और गरीब परिवार से हूं इसलिए मेरी हालत ऐसी है।