भोपाल। मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का तमगा हासिल है। ऐसा इसलिए क्योंकि देश भर में सबसे ज़्यादा बाघ मध्य प्रदेश में हैं। टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट 2018 के मुताबिक मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा 526 बाघ हैं। 524 बाघों के साथ कर्नाटक दूसरे नंबर पर है। लेकिन टाइगर स्टेट कहलाने के बावजूद सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर मध्य प्रदेश में बाघ कितने सुरक्षित हैं? 



मार्च के बाद से ही प्रदेश में बाघों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। प्रदेश के विभिन्न टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक बाघ मरते जा रहे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व में पिछले एक महीने के भीतर दो बाघों की मौत हो चुकी है। देश भर में सात साल के अंतराल के दौरान कुल 657 बाघों की मौत हुई है। टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट 2018 के अनुसार राज्य में 2012 - 18 के दरमियान 141 बाघों की मौत हो चुकी है। हैरानी की बात यह है कि केवल 78 बाघ ऐसे हैं जिनकी मौत प्राकृतिक कारणों की वजह से हुई है। बाकी बाघों की मौत या तो आपसी संघर्ष की वजह से हुई है या फिर बाघों का शिकार एक बहुत बड़ा कारण है।





टाइगर ज़िंदा है या एक था टाइगर?



प्रदेश में बाघों की अप्राकृतिक मौत शासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करती है। पिछले वर्ष जब देश के प्रधानमंत्री मोदी ने चौथी टाइगर एस्टीमेशन रिपोर्ट जारी की थी, तब उन्होंने कहा था कि एक समय में एक था टाइगर कहने की स्थिति थी लेकिन अब हम यह कह सकते हैं कि टाइगर ज़िंदा है। लेकिन राज्य में लगातार हो रही बाघों की मौतों को देखते हुए इस बात की पूरी आशंका है कि हम जल्द ही एक था टाइगर कहने की स्थिति में पहुंच जाएं।





आठ वर्षों बाद फिर मिला है टाइगर स्टेट का दर्जा 



मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त करने के लिए आठ वर्षों का लंबा इंतज़ार करना पड़ा था। 2006 के बाद से ही हर चार वर्षों बाद देश भर में बाघों की गणना होती है। जिसके आधार पर सबसे ज़्यादा बाघों की संख्या वाले राज्य को टाइगर स्टेट का दर्जा दिया जाता है। 2006 में तीन सौ बाघों की संख्या के साथ मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट बन गया था। लेकिन 2010 और 2014 में मध्य प्रदेश कर्नाटक और उत्तराखंड से पिछड़ गया था। अप्रैल महीने में ही मध्य प्रदेश में कुल 8 बाघों की मौत की खबर आई थी। जिस तरह से लागातर एक के बाद एक बाघ मरते जा रहे हैं, ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि अगली गणना में मध्य प्रदेश के से टाइगर स्टेट का तमगा छीन सकता है।



बाघों की मौत का ज़िम्मेदार कौन ?



पन्ना विधायक और शिवराज सरकार में खनिज और श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने बाघों की लगातार हो रही मौत को लेकर वन विभाग के अधिकारियों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है।





 



बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि एक के बाद एक बाघों की मौत बेहद ही चिंताजनक है। मंत्री ने इसके लिए पूरी तरह से वन विभाग को कसूरवार ठहराया है। बृजेन्द्र सिंह ने बाघों की संख्या में लगातार आ रही कमी को लेकर उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की है। बृजेन्द्र सिंह ने अपनी ही सरकार को सचेत करते हुए कहा है कि अगर प्रदेश में लगातार हो रही बाघों की मौत को लेकर सरकार सचेत नहीं हुई तो इसका नकारात्मक प्रभाव राज्य के पर्यटन पर पड़ेगा।