रविवार 31 मई को विश्वभर में नो टोबैको डे मनाया जाएगा। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने युवाओं को तंबाकू इंडस्ट्री के हथकंडों से बचाने की अपील की है। मध्यप्रदेश में हर साल तंबाकू व धूम्रपान के अन्य उत्पादों के उपयोग से 90 हजार लोगों की जान जाती है, भारत में यह आंकड़ा 13.5 लाख है तो विश्वभर में तकरीबन 80 लाख लोग इसके वजह से जिंदगी की जंग हार जाते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में प्रतिदिन 5500 बच्चे तंबाकू उत्पादों का सेवन करना शुरू करते हैं वहीं मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 300 के पार है। इस वर्ष WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) ने इस मौके पर "युवाओं को तंबाकू इंडस्ट्री के हथकंडे से बचाने और उन्हे तंबाकू और निकोटिन के इस्तेमाल से रोकने" की थीम रखी है।

मध्यप्रदेश के युवा दिनों-दिन तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के जाल में फंसते जा रहे हैं जिस वजह से उन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि युवाओं को तम्बाकू इंडस्ट्री द्वारा उत्पादों को बेचने के लिए किए जा रहे लुभावने हथकंडों से बचाने की जरूरत है। कमला नेहरु गैस राहत अस्पताल के डा.ललित श्रीवास्तव ने कहा कि ‘‘तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का बहुत खतरनाक रूप है, क्योंकि इसमें 7000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू का धुआं पांच घंटे तक हवा में रहता है, जो फेफड़ों के कैंसर, सीओपीडी और फेफड़ों के संक्रमण को बढ़ाता है।’’

मध्यप्रदेश में तंबाकू का सेवन

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार वर्तमान में प्रदेश के 34.2 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं जिनमें हर 2 में से एक पुरुष व हर 6 में से एक महिला शामिल है। सर्वे के मुताबिक युवाओं में तंबाकू सेवन का प्रचलन पिछले वर्षों के मुकाबले बढ़ा है। 2009-10 में जहां 12.3 प्रतिशत युवा तंबाकू का सेवन करते थे वहीं 2016-17 में यह संख्या बढ़कर 13.1 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। सर्वे के मुताबिक पूरे देशभर में 15 वर्ष से अधिक उम्र के युवा किसी न किसी रूप में तंबाकू का उपयोग करते हैं जिनकी संख्या करीब 27 करोड़ है।

प्रतिदिन नए ग्राहक ढूंढते हैं तंबाकू उद्योग

डॉ श्रीवास्तव बताते हैं कि दुनियाभर की तंबाकू कंपनियों को प्रतिदिन नए ग्राहक की जरूरत होती है जिस वजह से वे उत्पादों को नए रंग-रूप में लेकर आते हैं ताकि युवाओं को आसानी से आकर्षित कर सकें। इन हथकंडों को अपनाकर वे सफल भी होते हैं। उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए आकर्षित करने वाले विज्ञापनों पर प्रभावी अंकुश तथा बच्चों व युवाओं को इसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। साथ ही बच्चों व युवाओं को तंबाकू की पहुंच से दूर रखने के लिए तंबाकू निंयत्रण अधिनियम 2003 तथा किशोर न्याय अधिनियम की धारा 77 की प्रभावी पालन कराने की भी आवश्यकता है।

तंबाकू सेवन का दुष्प्रभाव

जब कोई व्यक्ति सिगरेट का सेवन करता है, तो उसका धुंआ शरीर के अच्छे कोलेस्ट्रॉल को घटा देता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। इस कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। वहीं तंबाकू के सेवन से पुरुषों के शुक्राणु और महिलाओं के अंडाणु बनाने की क्षमता कमजोर होती है। वहीं, प्रेगनेंसी के दौरान अगर माता-पिता सिगरेट पीते हैं या तंबाकू का सेवन करते हैं तो इससे बच्चे के दिमाग और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। वहीं तंबाकू का सेवन करने से कोरोना महामारी भी तेजी से फैल रही है। लोग सिगरेट या बीड़ी को मुंह में लगाते हैं जिस वजह से उनके संक्रमित होने के खतरे ज्यादा होते हैं वहीं सिगरेट का धुंआ फेंफड़ों को नुकसान पहुंचाता है जिससे संक्रमित मरीज के मरने की भी संभावना ज्यादा होती है।