गुजरते साल के आखिरी दिनों में कांग्रेस ने विधानसभा में शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव रखा। बहुमत के आगे यह प्रस्‍ताव खारिज हो गया मगर अब जो खबरें आ रही हैं वह खुद सत्‍ताधारी दल बीजेपी में अविश्‍वास की ओर इशारा कर रही है। यह अविश्‍वास पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा के प्रति है। 

वीडी शर्मा बीजेपी के ऐसे प्रदेश अध्‍यक्षों में शुमार होते हैं जिन्‍हें कम उम्र में पार्टी की बागडोर दी गई है। बड़ी उम्‍मीदों के साथ लाए गए वीडी शर्मा का कार्यकाल फरवरी में समाप्‍त हो रहा है। विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए उम्‍मीद की जा रही है कि राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा की तरह उनका कार्यकाल भी बढ़ा दिया जाएगा। मगर इनदिनों आ रही खबरें इस कयास पर संशय पैदा कर रही है। 

बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में अचानक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम उभरा और कहा जाने लगा कि तोमर की प्रदेश में वापसी होगी। मिशन 2023 को फतह करने के लिए उन्‍हें प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ जुगलबंदी जगजाहिर हैं। 2008 और 2013 के विधानसभा चुनावों के पहले भी तोमर को प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया गया था। 2018 में वे प्रदेश अध्‍यक्ष नहीं थे और पार्टी ने हार का सामना किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री तोमर की मुलाकातें तथा इन मुलाकातों के आत्‍मीय फोटो के साथ इस कयास को सच सिद्ध करने का प्रयास हो रहा है। 

दूसरा संकेत मैदान से आया है। हाईकमान के निर्देश पर प्रदेश की हारी हुई 97 सीटों पर बीजेपी अपनी रणनीति में कसावट ला रही है। इसी सिलसिले में हुई एक बैठक में जब प्रदेश बीजेपी के प्रभारी मुरलीधर राव इन सीटों के प्रभारियों से हकीकत जाननी चाही तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के प्रभारियों ने कह दिया कि बूथ समितियां कागजी हैं, जमीन पर नजर नहीं आतीं। अन्‍य प्रभारियों ने भी इस बात का समर्थन कर दिया। यह बात बैठक में उपस्थि‍त बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा को नागवार गुजरी क्‍योंकि बूथ समितियों का गठन के उनके निर्देशन में हुआ है और बूथ समितियों के सहारे ही बीजेपी चुनाव में कांग्रेस के मजबूत इलाकों में सेंध लगाना चाहती है। प्रभारियों की बात सुनते ही प्रदेश अध्यक्ष शर्मा नाराज हो गए। उन्‍होंने प्रभारियों को टोंकते हुए कहा कि अपनी जानकारी सुधारे। अध्यक्ष ने उन्हें अपने शब्द वापस लेने को कहा, लेकिन प्रभारी भी अपनी बात पर अड़े रहे । मामला गर्माता देख प्रभारी मुरलीधर राव ने कहा कि वे खुद दौरा कर स्थिति को देखेंगे। 

बहरहाल, वीडी शर्मा के लिए दूसरे कार्यकाल की राह में कांटें तो बिछाए जा रहे हैं। इन खबरों को देख-समझ कर लगता है कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित संगठन का अपने वर्तमान प्रदेश अध्‍यक्ष वीडी शर्मा पर विश्‍वास डोल रहा है। 

अपनों तक पहुंची आक्रोश की आग, लपेटे में खुद पार्टी 

आमतौर पर राजनीतिक दल और नेताओं के आक्रोश तथा विरोध का शिकार प्रतिद्ंवद्वि दल या नेता होते है मगर मध्‍य प्रदेश में तो ‘घर में आग लगी अपने चिराग से’ वाली कहावत सिद्ध हो रही है। बीजेपी और इसके नेता इनदिनों अपनों के आक्रोश का शिकार हो रहे हैं। 

ताजा मामला पूर्व मुख्‍यमंत्री उमा भारती का है। लोधी समाज का प्रतिनिधित्‍व करने वाली उमा भारती का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वे यह कहते हुए दिखाई दे रही हैं कि वे तो राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, इसलिए सभी से बीजेपी के लिए वोट मांगेंगी। लेकिन लोधी समाज के लोग बीजेपी के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। आप अपने आसपास की स्थिति देख कर वोट देना। 

माना जा रहा है उमा भारती बीजेपी के समर्थक वोट समूह लोधी समाज को राजनीतिक रूप से सजग रहने की बात कर असल में बीजेपी को संकेत दे रही है कि उमा की नाराजगी दूर नहीं की गई तो लोधी वोटर छूट जाएगा। केवल उमा भारती ही क्‍यों, उनके भतीजे प्रीतम सिंह लोधी को जब से बीजेपी ने पार्टी से बाहर किया है कि वे भी समाज को लेकर अलग राजनीतिक रेखा खींच रहे हैं। 

परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी ‘अपनों’ की मार झेल रहे हैं। उनके खिलाफ किसान मोर्चा के पूर्व जिलाध्‍यक्ष राजकुमार धनौरा मोर्चा खोला हुआ है। राजपूत के बीजेपी में आने से पहले धनोरा पार्टी में मजबूत स्‍थान रखते थे मगर राजपूत के अाने से उनकी राजनीतिक जमीन चली गई। अब वे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। धनोरा ने ही यह तथ्‍य उजागर किया कि मंत्री राजपूत और उनकी पत्नी को ससुराल से बेशकीमती 50 एकड़ जमीन दान में मिली है। धनोरा ने जो राज उजागर किए मंत्री राजपूत उनका जवाब देने से बचते रहे। धनोरा अब मंत्री से अपनी जान का खतरा बता रहे हैं तो मंत्री राजपूत की तरफ से भी उनके भाई ने थाने में शिकायत दर्ज करवा रखी है। 

बीजेपी की अंतर्कलह से पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन भी परेशान हैं। पन्ना को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष संजय नगाइच लंबे अरसे से पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन को हर संभव तरीके से परेशान कर रहे हैं। नगाइच को हटाने के मामले में पन्ना जिला अदालत ने पूर्व मंत्री बिसेन और अपेक्स बैंक के पूर्व महाप्रबंधक प्रदीप नीखरा पर 5-5 लाख का जुर्माना लगाया। बिसेन आय से अधिक संपत्ति के मामले को लेकर पहले ही न्यायालयीन प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं। ऐसे में कोर्ट का यह आदेश उनकी मुसीबत बढ़ाने वाला है। बाकी तो पन्ना में वहां मंच पर बैठने को लेकर हुए विवाद में बीजेपी की पूर्व पार्षद चंद्रप्रभा तिवारी को जिला महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष नीलम चौबे द्वारा मंच पर ही मारा गया थप्पड़ भी चर्चा में है। 

उधर, किसान संघ के बाद आरएसएस का एक और संगठन सहकार भारती बीजेपी सरकार के निर्णय के खिलाफ मैदान में उतरने की घोषणा कर चुका है। सहकार भारती 2018 के बाद से सहकारी समितियों के चुनाव न होने से नाराज है। यानी, अपनों का आक्रोश हर तरफ है। 


नया साल नई सरकार बनाम अबकी बार 200 पार

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद लगता है कि दोनों ही दलों ने सब‍क‍ लिया है। कांग्रेस देश में यात्रा को मिले के लिए रिस्‍पांस से उत्‍साहित है। उसके सामने चुनौती है कि वह इस माहौल को बनाए रखे, जबकि बीजेपी की चिंता अपनी जमीन खिसकने की है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए दोनों ही दलों ने अपनी अपनी तैयारियों की हैं। 

26 जनवरी को भारत जोड़ो यात्रा श्रीनगर में समाप्त हो जाएगी। इसके बाद कांग्रेस देश में 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान शुरू करेगी। यह अभियान भारत जोड़ो यात्रा के संदेश और माहौल को बनाए रखने का जतन है। अभियान के तहत पद यात्राएं और रैलियों का आयोजन होगा। देशभर में दो महीने तक चलने वाले इस अभियान महिलाओं पर फोकस करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा प्रत्येक राज्य की राजधानी में महिलाओं के साथ पदयात्राएं करेंगी। इस अभियान के लिए पार्टी ने उप्र के नेता प्रमोद तिवारी को मध्‍य प्रदेश तथा मध्‍य प्रदेश के नेता अरुण यादव का छत्‍तीसगढ़ का प्रभारी बनाया है। 

मिशन 2023 को देखते हुए प्रदेश कांग्रेस एक जनवरी को सभी जिला मुख्यालयों पर संकल्प दिवस मनाएगी। तिरंगे झंडे के साथ पार्टी के जिला कार्यालय से गांधी प्रतिमा स्थल तक पदयात्रा होगी। इसके बाद जनसभा आयोजित कर बीजेपी सरकार की अफसलताएं बताई जाएंगी। इसदिन कार्यकर्ता 'नया साल-नर्ई सरकार’ का संकल्प लेंगे।

दूसरी तरफ, बीजेपी ने भी मैदान में अपनी ताकत झोंक देने की तैयारी की है। विधानसभा की कुल 230 सीटों में से 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य तय करते हुए बीजेपी ने ‘अबकी बार 200 पार’ का नारा दिया है। बीजेपी ने फरवरी में राज्यव्यापी 'विकास यात्राएं' निकालने का फैसला किया है। विकास यात्रा के दौरान पार्टी नेता योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करेंगे। चार संभागों में मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान के कार्यक्रम हो चुके हैं। अन्‍य संभागों में भी जल्द कार्यक्रम होंगे। चार जनवरी को मुख्यमंत्री भू अधिकार आवास योजना का लाभ देने के लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। 

दोनों ही दल अपनी तरह से माहौल बनाए रखने का जतन कर रहे हैं, यह तो वक्‍त ही बताएगा कि 2023 में ताज किसके सिर सजेगा। 

सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान पर बीजेपी में सन्‍नाटा 

भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार भी उनका कहा विवाद का कारण बना है। प्रज्ञा सिंह ठाकुर के विवादित बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। प्रज्ञा सिंह ठाकुर वीडियो में कहती हुई नजर आ रही है कि लोगों को अपने घरों में सब्जी काटने का चाकू तेज रखना चाहिए। जब सब्जी आसानी से कट जाएगी तो फिर मौका आने पर दुश्मनों के सिर भी काटे जाएंगे। यह वीडियो कर्नाटक के शिवमोग्गा शहर में आयोजित हिंदू जागरण वैदिके के दक्षिण वार्षिक अधिवेशन के दौरान बनाया गया था। 

इस वीडियो के आने के बाद देशभर में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। खबरें हैं कि तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले और राजनीतिक विश्लेषक तहसीन पूनावाला ने प्रज्ञा सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि यह हेट स्‍पीच का मामला है और वे इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे। 

अचरज की बात है कि इस पर बीजेपी में पूरी तरह सन्‍नाटा है। न अनौपचारिक और न ही औपचारिक रूप से कुछ गया है। जबकि पहले दिए गए विवादित बयानों के बाद पार्टी ने या तो प्रज्ञा ठाकुर को तलब किया है या नाराजगी व्‍यक्‍त की है। 2019 में प्रज्ञा ठाकुर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। इसपर नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान घृणा के लायक है। मैं मन से कभी उन्हें माफ नहीं कर पाऊंगा। इसके बाद के बयानों पर भी विवाद होने के बाद सांसद प्रज्ञा प्रदेश कार्यालय पहुंच कर सफाई देती रही हैं।

मगर इस बार बयान पर संगठन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है। संभव है, माहौल की आंच को देख कर कोई फैसला लिया जाए।