गजानन के आगमन के दिन नजदीक आ रहे हैं। शुक्रवार को पुण्य बेला में चतुर्थी के दिन भगवान गणेश घर-घर विराजेंगे। इस बार गणेश प्रतिमा की स्थापना के लिए सुबह 11:03:03 से 13:32:58 तक का मुहूर्त शुभ माना गया है। मान्यता है कि चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी के 10 दिनों में भगवान गणेश पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों पर कृपा करते हैं। वक्रतुंड अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं। 

 नई मूर्ति की करें पूजा, तुलसी का प्रयोग है वर्जित

घर में पूजा स्थान पर दो गणेश जी नहीं रखना चाहिए। इस मौके पर नई मूर्ति की पूजा करनी चाहिए। भगवान गणेश को मोदक प्रिय है, उन्हें लड्डू का भोग भी लगाया जाता है। गजानन की पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित है। ऐसा करने से सिद्धिविनायक नाराज होते हैं। उन्हें दूर्वा अति प्रिय है। उनकी पूजा में दूर्वा का उपयोग अवश्य किया जाता है।

गणेश उत्सव में आहार-व्यवहार में रखें संयम

गणेश उत्सव के दौरान खानपान और व्यवहार में संयम रखना चाहिए। इनदिनों तामसी प्रवृत्ति के भोजन से बचना चाहिए। खाने में प्याज, लहसुन, शराब और मांस का प्रयोग वर्जित है। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। किसी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। 

 गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा दर्शन है निषेध

गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए, मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने चतुर्थी के चंद्रमा के दर्शन किए थे इसलिए उन्हें स्यमन्तक मणि की चोरी का झूठा आरोप लगा था। इस दिन झूठ बोलने से हानि होती है। लोक मान्यता है कि अगर किसी ने गलती से चंद्रमा के दर्शन चतुर्थी के दिन कर लिए तो उसे  तुरंत एक उपाय करना चाहिए। उसे जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर अपने फेंक देना चाहिए, ऐसा करने से मिथ्या चोरी का आरोप नहीं लगता।

पांच गृह देंगे शुभ फल

इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। जो विभिन्न वर्गों को कई शुभ फल देंगे। इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर पांच ग्रह अपनी श्रेष्ठ स्थिति में मौजूद होगें। बुध कन्या राशि में, शुक्र तुला राशि में, राहु वृषभ राशि में, केतु वृश्चिक राशि और शनि मकर राशि में होंगे। इन सभी गृहों का असर मानव जीवन के साथ-साथ बाजारों पर भी देखने को मिलेगा। बाजारों में व्यापार में उन्नती होने के संकेत हैं।