नई दिल्ली। अपने दौर में टर्बनेटर के नाम से क्रिकेट जगत में ख्याति पाने वाले हरभजन सिंह का आज 41 वर्ष के हो गए हैं। हरभजन सिंह का करियर भी उनकी घूमती हुई गेंदों की ही तरह घूमता रहा। लेकिन इस रोलर कोस्टर राइड में भी भज्जी ने भारतीय क्रिकेट के फैंस को प्राइड के भरपूर क्षण दिए। 

जब दुनिया जालंधर के जट को टर्बनेटर के नाम से जानने लगी 

हरभजन सिंह ने अपना पहला मुकाबला (टेस्ट) मार्च 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। अगले ही महीने भज्जी को न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे में मौका मिला। लेकिन अपने करियर के शुरुआती दौर में ही भज्जी अपने गेंदबाजी एक्शन को लेकर पचड़े में फंस गए। दूसरी तरफ भारतीय टीम में अनिल कुंबले जैसे फ्रंट लाइन स्पिन गेंदबाज की मौजूदगी के कारण भज्जी को ज्यादातर समय बाउंड्री लाइन से ही बाहर बिताना पड़ा। 

लेकिन 2001 में अनिल कुंबले के चोटिल हो जाने के बाद हरभजन को बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में भारतीय टीम में शामिल किया गया। कोलकाता टेस्ट में फॉलो ऑन नहीं बचा पाने वाली भारतीय टीम ने वीवीएस लक्ष्मण की 281 रनों की वेरी वेरी स्पेशल पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया के सामने एक मजबूत लक्ष्य खड़ा ज़रूर कर दिया। लेकिन इस मैच को मेमोरेबल हरभजन सिंह और उनकी हैट्रिक ने बनाया। हरभजन सिंह पांच दिवसीय क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने। इस पारी के बाद लंबे समय तक हरभजन सिंह भारतीय टीम का हिस्सा रहे।

टेस्ट मैचों में हैट्रिक लेने वाले इकलौते भारतीय गेंदबाज बने रहने का भज्जी का यह रिकॉर्ड इरफान पठान के हैट्रिक लेने तक कायम रहा। 2006 में पाकिस्तान दौरे पर कराची टेस्ट में इरफान पठान ने हैट्रिक लेकर भज्जी के क्लब में अपना नाम दर्ज कराया।

रिकी पॉन्टिंग के लिए अनसुलझी पहेली थी हरभजन की गेंदबाजी

हरभजन ने अपनी फिरकी से दुनिया के हर बड़े बल्लेबाज को चकमा दिया, लेकिन हरभजन की फिरकी को समझने में सबसे ज्यादा नाकामयाब रिकी पॉन्टिंग साबित हुए। हरभजन ने रिकी पॉन्टिंग को टेस्ट मैचों की कुल 25 परियों में दस बार शिकार बनाया।

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रिकी पॉन्टिंग हरभजन की ही गेंद पर सबसे ज्यादा बार आउट हुए। हरभजन ने भी सबसे ज्यादा बार अगर किसी एक बल्लेबाज को आउट किया, तो वह रिकी पॉन्टिंग ही थे। हरभजन के 50 वें और 300 वें शिकार भी पंटर ही थे। हरभजन ने 103 टेस्ट मैचों में कुल 417 विकेट चटकाए, वहीं 236 वन डे में 269 विकेट चटकाए। 

विवादों से रहा चोली और दामन का साथ 

हरभजन सिंह के करियर में छिटपुट विवाद काफी सारे हैं। गुवाहाटी में टीम होटल में पुलिस कर्मी से झड़प हो या गुरु ग्रेग और दादा के कोल्ड वॉर के दौरान कोच चैपल के खिलाफ बयानबाजी हो, हरभजन का विवादों के साथ हमेशा चोली और दामन जैसा साथ रहा। लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां हरभजन के साइमंड्स और श्रीसंत के साथ हुए विवाद ने बटोरीं। 

2007-08 ऑस्टेलियाई दौरे पर क्रिकेट इतिहास के विवाद टेस्ट मैचों में से एक सिडनी टेस्ट के दौरान भज्जी और साइमंड्स में विवाद हुआ। भारतीय टीम की बल्लेबाजी के दौरान साइमंड्स और भज्जी बीच मैदान में उलझ गए। साइमंड्स ने भज्जी पर नस्लवादी टिप्पणी करने का आरोप लगाया। इस पूरे कांड को मंकी गेट कांड के नाम से भी जाना जाता है। 

बीच मैदान में भज्जी ने जड़ दिया था श्रीसंत को थप्पड़ 

25 अप्रैल 2008 को मोहाली में मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच मुकाबला खेला जा रहा था। दोनों ही टीमें अपना तीसरा मुकाबला खेल रही थीं और दोनों ही अपने पहले दोनों मैच हार चुकी थीं। मुंबई इंडियंस को बैंगलोर और चेन्नई सुपरकिंग्स के हाथों शिकस्त मिली थी, जबकि पंजाब की टीम अपने मुकाबले चेन्नई और राजस्थान से हार गई थी। इस लिहाज से दोनों ही टीमों के लिए यह मुकाबला बेहद अहम था। पंजाब ने इस मुकाबले में मुंबई इंडियंस को 66 रनों से हरा दिया। लेकिन इस मैच से ज़्यादा चर्चा का विषय श्रीसंत और हरभजन के बीच हुआ विवाद बना जिसे स्लैपगेट के नाम से जाना जाता है। मैच की समाप्ति के बाद टीवी के कैमरों पर श्रीसंत का रोता हुआ चेहरा ही दिखाई दे रहा था। मुंबई इंडियंस की कप्तानी कर रहे हरभजन ने पंजाब के लिए खेल रहे श्रीसंत को बीच मैदान थप्पड़ जड़ दिया था। कभी टीम की ऑनर प्रीति ज़िंटा तो कभी कप्तान युवराज सिंह श्रीसंत से बात करते हुए दिखाई देते। विपक्षी टीम के ड्वेन ब्रावो भी श्रीसंत को संभालते नज़र आ रहे थे। 

श्रीसंत और हरभजन के थप्पड़ काण्ड ने इतना तूल पकड़ा कि हरभजन को पूरे सीज़न से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हरभजन को उस सीज़न की मैच फीस तक नहीं मिली थी जो कि करीबन 3.75 करोड़ थी। इस पूरे विवाद को लेकर हरभजन और श्रीसंत ने अलग अलग मौकों पर अपनी बात रखी। 

श्रीसंत बताते हैं कि वो नहीं चाहते थे कि हरभजन पर किसी तरह का कोई जुर्माना लगाया जाए या उन्हें आईपीएल खेलने से रोका जाए। श्रीसंत के मुताबिक थप्पड़ काण्ड के ठीक बाद सचिन ने आ कर बीच बचाव भी किया था। सचिन ने श्रीसंत को समझाया था कि 'तुम दोनों एक ही टीम के लिए खेलते हो, और आगे भी तुम दोनों को काफी एक साथ खेलना है। श्रीसंत बताते हैं कि इस काण्ड के ठीक कुछ घंटों के बाद हरभजन के साथ वे नॉर्मल हो गए थे। दोनों ने उस रात बाकायदा एक साथ डिनर भी किया था। लेकिन मीडिया ने इस मामले को इतना तूल दे दिया था कि लोगों को यह मामला ज़रूरत से ज़्यादा बड़ा और गंभीर लग रहा था। श्रीसंत ने एक बार इस घटना के बारे में बताया था कि उन्होंने आईपीएल के कमिश्नर सुधींद्र नानावती से कहा भी था कि वे हरभजन पर किसी तरह का प्रतिबंध न लगाएं। 

वहीं हरभजन ने एक बार इस मसले पर बात करते हुए अपनी गलती स्वीकारी थी। हरभजन ने कहा था कि यह क्रिकेट मैदान पर उनके द्वारा की गई बड़ी गलतियों में से एक थी। हालांकि हरभजन का यह भी कहना था कि श्रीसंत ने उस घटना पर ज़रूरत से ज़्यादा रिएक्ट किया था। तीन महीने के भीतर यह दूसरी मर्तबा था जब भज्जी विवादों में फंसे थे। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में सिडनी टेस्ट के दौरान उनका सायमंड्स के साथ मंकी गेट विवाद हो चुका था। 

अंग्रेजी थी भज्जी के लिए सबसे बड़ी चुनौती 

भले ही भज्जी ने अपनी फिरकी से क्रिकेट की पिच पर बड़े बड़े बल्लेबाजों को घुमाया हो लेकिन अंग्रेजी शुरुआती दिनों में भज्जी के लिए सबसे बड़ी परेशानी का सबब बनी रही। एक बार आर्मी के एक लेफ्टिनेंट ने भज्जी को अपना परिचय दिया। लेफ्टिनेंट ने कहा, 'आई एम लेफ्टिनेंट।' हरभजन का जवाब था, आई एम राइट हैंड ऑफ स्पिनर।

खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह ने अपनी किताब में बेंगलुरु स्थित नेशनल क्रिकेट एकेडमी के एक किस्से का ज़िक्र किया है। किसी मैच से ठीक पहले एनसीए के तत्कालीन डायरेक्टर हनुवंत सिंह खिलाड़ियों से फॉर्म भरवा रहे थे। फॉर्म के एक कॉलम में खिलाड़ियों से मदर टंग पूछी गई थी, जिसके जवाब में हरभजन या सरनदीप सिंह में से किसी एक ने लिखा था, 'पिंक'। किस्सा लिखने वाले शिवेंद्र सिंह कहते हैं कि इस घटना को लेकर हरभजन और सरनदीप एक दूसरे के ऊपर टोपी घुमाते रहते हैं।