नई दिल्ली। आज ही के दिन ठीक 11 साल पहले सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले सबसे पहले 'पुरुष' खिलाड़ी बने थे। 24 फरवरी 2010 को ग्वालियर के मैदान में सचिन ने यह उपलब्धि हासिल की थी। सचिन ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यह उपलब्धि हासिल की थी। मास्टर ब्लास्टर ने 147 गेंदों में 200 रनों की नाबाद पारी खेल कर, अब तक वनडे क्रिकेट में किसी बल्लेबाज के लिए नामुमकिन से प्रतीत होने वाले लक्ष्य को हासिल कर नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया था। हालांकि वनडे क्रिकेट इतिहास में यह कारनामा करने वाले सचिन पहले खिलाड़ी नहीं बल्कि पहले 'पुरुष' खिलाड़ी थे।
49 वें ओवर की तीसरी गेंद पर जैसे ही सचिन ने चार्ल लेंगवेल्ट (वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका के बॉलिंग कोच) की गेंद पर सिंगल लेकर अपना दोहरा शतक पूरा किया, वैसे ही कमेंट्री बॉक्स में बैठे रवि शास्त्री ने कहा, ' द फर्स्ट मैन ऑन द प्लैनेट टू रीच 200 एंड इट इज़ द सुपरमैन फ्रॉम इंडिया...' लेकिन यह सच नहीं है। इस प्लैनेट पर वनडे क्रिकेट इतिहास में सबसे पहले दोहरा शतक जमाने वाली एक महिला खिलाड़ी थी। सचिन के दोहरा शतक जड़ने से लगभग 13 साल पहले तत्कालीन ऑस्ट्रेलियन कप्तान बेलिंडा क्लार्क ने मुंबई में डेनमार्क के खिलाफ खेलते हुए दोहरा शतक (229 नाबाद) जड़ दिया था। बतौर कप्तान वनडे इतिहास की किसी एक पारी में सर्वाधिक रन बनाने का रिकॉर्ड आज भी क्लार्क के नाम पर दर्ज है। बतौर बल्लेबाज़ वनडे क्रिकेट में सर्वाधिक स्कोर बनाने का रिकॉर्ड रोहित शर्मा ने अपनी 264 रनों की पारी के दौरान तोड़ा था।
भले ही सचिन तेंदुलकर वनडे क्रिकेट में सबसे पहले दोहरा शतक जमाने वाले पहले क्रिकेटर न रहे हों लेकिन पुरुष क्रिकेट में सचिन के नाम ऐसी उपलब्धि हासिल हुई थी, जो उनसे पहले दुनिया का कोई भी बल्लेबाज हासिल नहीं कर पाया था। सईद अनवर (194 नाबाद), चार्ल्स कवेंट्री (194 नाबाद), विवियन रिचर्ड्स (189 नाबाद), जयसूर्या (189) और गैरी कर्स्टन (188 नाबाद) सरीखे बल्लेबाज़ दोहरा शतक के करीब पहुंच चुके थे। लेकिन सभी बल्लेबाज़ों के भीतर दोहरा शतक न बना पाने की टीस बरकरार रही। इस लिहाज से ग्वालियर के मैदान पर खेली गई सचिन की पारी दुनिया भर के बल्लेबाज़ों के लिए एक मिसाल थी।
सचिन की इस पारी के बाद ही वनडे क्रिकेट में दोहरे शतक की झड़ी लग गई। सचिन के बाद वीरेंद्र सहवाग ने नवंबर 2011 में इंदौर के होलकर स्टेडियम में वेस्ट इंडीज के खिलाफ दोहरा शतक जमाया था। वनडे क्रिकेट में पहले चार दोहरे शतक तीन भारतीय क्रिकेटरों ने जड़े थे। पहले दो दोहरे शतक मध्यप्रदेश के क्रिकेट ग्राउंड पर जड़े गए थे।सचिन और सहवाग के बाद रोहित शर्मा, मार्टिन गप्टिल, क्रिस गेल, फखर जमान ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ दिया। रोहित शर्मा वनडे क्रिकेट में सबसे ज़्यादा तीन दोहरा शतक जड़ चुके हैं।
24 फरवरी का दिन सचिन के लिए है बेहद खास
24 फरवरी की तारीख मास्टर ब्लास्टर के क्रिकेट कैलेंडर पर स्वर्णिम अंकों में दर्ज है। इसी दिन सचिन ने वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक भी बनाया और क्रिकेट इतिहास की सबसे लंबी साझेदारी भी विनोद कांबली के साथ की। 24 फरवरी 1988 को मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में सचिन और विनोद कांबली ने 664 रनों की साझेदारी की थी। यह उस समय क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट में सबसे बड़ी साझेदारी थी। हालांकि सचिन और कांबली का यह रिकॉर्ड 2006 में हैदराबाद के मोहम्मद शाइबाइज और मनोज कुमार ने तोड़ दिया था। दोनों ने मिलकर 721 रनों की साझेदारी की थी।
सचिन और कांबली की उस साझेदारी ने दुनिया भर की क्रिकेट की नज़रें अपनी ओर खींच ली थी। लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि सचिन और कांबली के इस रिकॉर्ड को चीटियां खा गईं। दरअसल दोनों की साझेदारी जिस शीट पर दर्ज की गई थी, उसे मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन संभाल कर नहीं रख पाया। 2013 में यह बात सामने आई कि सचिन और कांबली के रिकॉर्ड को सफेद चीटियां खा चुकी हैं। मुंबई स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन के तत्कालीन सेक्रेट्री एचएस भोर ने एक हिंदी न्यूज चैनल को यह जानकारी दी थी। उन्होंने कहा था कि दोनों बल्लेबाजों की साझेदारी का रिकॉर्ड अब एसोसिएशन के पास नहीं हैं क्योंकि उन्हें चीटियां चट कर चुकी हैं। भोर ने क्रिकेट इतिहास के नायाब कीर्तिमानों से एक कीर्तिमान के रिकॉर्ड को लेकर कहा था कि इतने पुराने दस्तावेज़ को कोई संभाल कर नहीं रख सकता।