रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना की कहर ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। राजधानी में आज शाम 6 बजे से 19 अप्रैल तक के लिए कंप्लीट लॉकडाउन लगाया जा रहा है। राजधानी में लॉकडाउन लगाए जाने की खबर के बाद लोगों में पैनिक की स्थिति उत्पन्न हो गई है। हालांकि, बॉलीवुड के मशहूर एक्टर और लेखक आशुतोष राणा ने इस लॉकडाउन को लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर करार दिया है। राणा का कहना है कि खुद से दोस्ती करने का इससे अच्छा मौका नहीं हो सकता। उन्होंने कोरोना वायरस को लोगों को अच्छी जीवनशैली की ओर ले जाने का श्रेय भी दिया है।

आशुतोष राणा इन दिनों एक फ़िल्म की शूटिंग के सिलसिले में रायपुर गए हुए हैं। इस दौरान उन्होंने स्थानीय मीडिया से विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातें की। राणा से जब रायपुर में लॉकडाउन को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'इंसान पूरे संसार को जान लेता है, लेकिन खुद को नहीं जान पाता। लॉकडाउन में जब हमारे पास करने को ज्यादा कुछ नहीं होगा तब हमारे पास एक अवसर होगा, खुद को जानने का अवसर, खुद से दोस्ती करने का अवसर, अपने आप को समय देने का अवसर।'

हमें अच्छी जीवनशैली की ओर ले जा रहा कोरोना- आशुतोष

जाने माने एक्टर, लेखक और कवि आशुतोष राणा ने कोरोनाकाल को लोगों के लिए अच्छी जीवनशैली का एक अवसर बताया है।  उन्होंने कहा, 'प्रकृति जब खुद के लिए शोधन का काम करती है तो वो मानवों का हस्तक्षेप नहीं चाहती। लोग घर पर रहें सुरक्षित रहें तो प्रकृति अपना शोधन कर लेगी। पिछले साल जब देशभर में लॉकडाउन लागू हुआ था तो हमने देखा की नदियां साफ हो गईं, प्रदूषण कम हो गया। हम सब ने मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना सीख लिया। मैं पहले लोगों से गले मिलता था अब हाथ जोड़ प्रणाम करता हूं। कोरोना हमें अच्छी जीवनशैली की ओर लेकर जा रहा है।'

चुनौतियां इंसान के जीवन में बेहतरी लाती है- राणा

राणा ने बातचीत के दौरान कहा कि चुनौतियां इंसान के जीवन में बेहतरी लाती हैं। उन्होंने कहा, 'ये चुनौती भरा समय है। चुनौतियां हमारे जीवन में बेहतरी लाती हैं। अबतक दुनिया में किसी महामारी की वैक्सीन इतनी जल्दी नहीं आई थी। मगर जब हमारे सामने कोरोना चुनौती बनकर आया तो हमारे वैज्ञानिकों ने बेहद कम समय में वैक्सीन बनाई और हमें सुरक्षा कवच प्रदान किया।' राणा ने लोगों से वैक्सीन लगाने की अपील करते हुए कहा कि, 'हमें अपने विज्ञान और भगवान पर भरोसा होना चाहिए। पहला सुख निरोगी काया, इसके बाद घर में माया।'

संवाद ही है नक्सल समस्या का हल

आशुतोष ने इस दौरान बीजापुर में सुरक्षाबलों पर हुए खूनी नक्सल हमले को लेकर भी खुलकर बातें की। उन्होंने संवाद को नक्सल समस्या का समाधान बताया। बॉलीवुड अभिनेता ने कहा, 'नक्सल समस्या के समाधान के तौर पर मुझे लगता है की संवाद स्थापित कर इसका हल निकाला जा सकता है। संतों का भी यही मानना है कि किसी भी समस्या का समाधान संवाद से होता है। हर समस्या के गर्भ से ही समाधान जन्म लेता है। जरूरत है की हम समस्या के गर्भ तक जाएं उस समाधान को प्राप्त करें। हमारे अंदर एक्सेप्टेंस, एक्नॉलेज और एप्रिशिएट करने की क्षमता होनी चाहिए। समस्या को पहले स्वीकारना होगा फिर उसे समझना होगा और फिर संवाद के जरिए समाधान ढूंढना होगा। कहीं भी शांति बिना बातचीत के कैसे स्थापित हो सकती है।'

समाज की खूबसूरती के लिए मर्यादाओं का होना जरूरी

आशुतोष राणा से जब फ़िल्म और वेब सीरीज के कंटेंट पर सेंसरशिप के संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि समाज की खूबसूरती के लिए कुछ मर्यादाओं का होना जरूरी है। उन्होंने कहा, 'मैं यह मानता हूं कि सेंसरशिप निजता का विषय होती है। यदि यह कहा जाए कि वेब सीरीज में सेंसरशिप होनी चाहिए तो इसका ये मतलब कतई नहीं कि यह कोई हंगामा खड़ा करने जैसी बात हो। हमारे कुछ एथिक्स हैं, हमारी कुछ परंपराएं हैं, जिनका हमें सम्मान करना चाहिए। इन परंपराओं के होने से समाज की खूबसूरती बनी रहती है। हर मर्यादा को बंधन की तरह नहीं देखना चाहिए, कुछ मार्यादाएं हमारे समाज की खूबसूरती के लिए भी जरूरी हैं।'