आरएसएस के सहयोगी संगठनों के साथ भाजपा भी चीनी सामग्री के बहिष्‍कार की मुहिम चलाती रही है। मगर भाजपा सरकारों ने चीनी कंपनियों से हाथ मिलाने में भी गुरेज नहीं किया। प्रदेश को निवेश के मामले में भी चीन से धोखा ही मिला है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने चीन का एक सप्ताह का दौरा किया था। वे चीनी कंपनियों से 6600 करोड़ के एमओयू कर लौटे थे। मगर 2016 के बाद से अब तक इन कंपनियों ने छत्‍तीसगढ़ में सौ करोड़ का निवेश भी नहीं किया है।

भाजपा सरकार के दौरान तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री रमन सिंह अप्रैल 2016 में चीन गए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन दौरे में तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 करोड़ रुपए खर्च किए थे। 11 चीनी कंपनियों के साथ हुए इस एमओयू का 99 फीसदी निवेश सिर्फ कागजों पर ही रह गया। प्रदेश को निवेश के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है। ये एमओयू इलेक्ट्रानिक्स के साथ-साथ सोलर सेक्टर के लिए‍ किए गए थे। रमन सिंह ने नया रायपुर में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के लिए जगह भी आरक्षित कर ली थी। 

निवेश के सारे सपने झूठे साबित हुए

तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री रमन सिंह ने निवेश लाकर छत्‍तीसगढ़ के विकास के जो भी सपने दिखाए वे झूठे साबित हुए हैं। 2012 में रमन सरकार ने नवा रायपुर में बड़े पैमाने पर निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया था, जिसमें करोड़ो रुपए खर्च किए गए। मीट के दैरान भी हजारों करोड़ के निवेश की बातें कही गयी थी लेकिन एमओयू साइन करने के बाद एक भी कंपनी नहीं आई। 

किसके साथ कितने का एमओयू

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, रमन सरकार ने एशिया पेसिफिक जनरेशन लिमिटेड से 600 मिलियन यूएस डॉलर, चाइना हेनान बंपर ऑफ न्यू एनजी व्हीकल कार्पोरेशन से 500 मिलियन यूएस डॉलर, गांगझू इआन आप्टिकल एंड इलेक्ट्रिकल टेक ज्वाइंट कार्पो से 50 मिलियन यूएस डॉलर, कुशन टेक्नालाजी से 50 मिलियन यूएस डॉलर, हांगकांड जिनयूआन इंटरनेशनल से 1000 मिलियन यूएस डॉलर, राइजन एनर्जी कार्पो से1000 मिलियन यूएस डॉलर, शेनकार्न क्यूयेंन्स टेक्नालॉजी से 100 मिलियन यूएस डॉलर, आस्टेंर्ड सोलर होल्डिंग कार्पो से 400 मिलियन यूएस डॉलर, डोगाक्तव करझेंग इंडस्ट्री से 20 मिलियन यूएस डॉलर, मीटेक इंक से 25 मिलियन यूएस डॉलर व झोंगली टेलसन सोलर कंपनी से 500 मिलियन यूएस डॉलर के एमओयू किए थे।