रायपुर। छत्तीसगढ़ में विवादों के घेरे में रही केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन की राह आसान होती नजर आ रही है। अब इस योजना का काम करवाने के लिए जिला स्तर पर टेंडर बुलाने का फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार से जिला स्तर पर टेंडर बुलाने की अनुमति मिल गई है। इस अनुमति के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से केंद्र को पत्र लिखा गया था। अब केंद्र ने इसकी अनुमति दे दी है।

गौतरलब है कि पहले जल जीवन मिशन के लिए प्रदेश स्तर पर पीएचई द्वारा टेंडर जारी किया गया था। जिसमें कई शिकायतें आई थीं। योजना को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में राज्य स्तरीय टेंडरों को निरस्त कर दिया था। अब केंद्र से परमीशन मिलने के बाद जिला स्तर पर टेंडर बुलाए जाने से जल जीवन मिशन की राह की मश्किलें कम होती नजर आ रही हैं।

जल जीवन मिशन के तहत छत्तीसगढ़ में सितंबर 2023 तक घर-घर में नल से पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश के 41.32 लाख ग्रामीण परिवारों को इस योजना का लाभ मिलेगा। इस योजना के लिए 7 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

अब तक प्रदेश के केवल 10 प्रतिशत घरों में ही नल का कनेक्शन है। साल 2020-21 में 20 लाख नए कनेक्शन जोड़ने का टार्गेट रखा गया था। जोकि टेंडर विवाद की वजह से अब कई महीने लेट हो गया है।

 

पुराने जल जीवन मिशन के वर्क टेंडर के अनुसार 8 हजार ग्राम पंचायतों में पानी के टैंक का निर्माण, पाइपलाइन, सिविल वर्क, नल कनेक्शन, वॉटर प्योरिफिकेशन, पंप, और पानी से फ्लोराइड हटाने के लिए 10 हजार 519 करोड़ रुपए तक के वर्क ऑर्डर हुए थे।

पीएचई विभाग पर नियमों को शिथिल करके टेंडर बंटवारे का आरोप लगा था। जिसकी गड़बड़ी का खुलासा होने पर भूपेश सरकार ने टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी थी। जिला स्तर पर स्थानीय ठेकेदारों को काम आवंटित कराए जाने की मांग के मद्देनजर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नवंबर में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर जिला स्तर पर कार्य आवंटित करने की परमीशन की मांगी थी। केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति प्रदान कर दी है। अब प्रदेश के सभी जिलों से कार्य कराने के लिए राज्य स्वच्छता मिशन की अनुमति ली जाएगी। फिलहाल शासन स्तर पर अनुमति मिलते ही टेंडर की कार्रवाई शुरू होगी।