नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के बड़े उद्योगपतियों की बैलेंसशीट जहां दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रही, वहीं छोटे-मंझोले कारोबारियों के लिए यह साल निराशाजनक रहा। भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान 67 फीसदी एमएसएमई अस्थायी रुप से बंद हो गए जबकि अन्य के। मुनाफे में 66 फीसदी तक गिरावट देखी गयी। यह जानकारी खुद मोदी सरकार में एमएसएमई मंत्री नारायण राणे ने लोकसभा में दी है।

दरअसल, एमएसएमई मंत्रालय ने पिछले साल सितंबर में सिडबी को कोरोना महामारी के दौरान एमएसएमई सेक्टर में हुए नुकसान का आंकलन करने का जिम्मा सौंपा था। सिडबी ने इससे संबंधित अपनी रिपोर्ट पिछले महीने ही केंद्र सरकार सौंपी है। रिपोर्ट के मुताबिक न सिर्फ छोटे कारोबारियों के धंधे चौपट हो गए बल्कि जो किसी तरह से बचे हुए हैं वो भी घाटे में चल रहे हैं। उनके मुनाफे में 66 फीसदी तक की गिरावट आयी है। लोकसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में गुरुवार को एमएसएमई मंत्री नारायण राणे ने इस सर्वे के आंकलन को संसद में साझा किया।

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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सिडबी ने 20 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में 1,029 रैंडम सैंपल लिए और उसका अध्ययन 27 जनवरी को सबमिट किया। राणे ने कहा, 'वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 50 फीसदी से अधिक एमएसएमई ने अपने रेवेन्यू में 25 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की। इसके अलावा, लगभग 66 फीसदी यूनिट्स ने रेवेन्यू घट जाने के कारण प्रॉफिट में गिरावट की सूचना दी।'

स्टडी के मुताबिक सर्वे में शामिल लगभग 65 प्रतिशत एमएसएमई ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) का लाभ उठाया और लगभग 36 फीसदी ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई) योजना के तहत ऋण भी लिया। बता दें कि पिछले साल फरवरी तक सरकार के पास उन एमएसएमई का कोई डेटा उपलब्ध नहीं था जो महामारी के दौरान बंद हुए।

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तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में कहा था कि 'एमएसएमई औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में हैं, इसलिए सूक्ष्म, लघु मंत्रालय में भारत सरकार द्वारा इकाइयों के अस्थायी या स्थायी बंद होने के बारे में डेटा नहीं रखा जाता है।' बहरहाल सिडबी का हालिया सर्वे सामने आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा है कि, 'कारोबार करने में असहजता,  बेरोजगार युवाओं का दर्द और मोदी सरकार की अनिवार्य झूठ। किसके अच्छे दिन आए?'

राहुल गांधी ने हाल में लोक सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए दो तरह के हिन्दुस्तान का ज़िक्र किया था। राहुल ने कहा था कि मोदी सरकार में गरीबों का हिन्दुस्तान अलग और अमीरों का हिन्दुस्तान अलग बन गया है। दस फीसदी अमीरों की पूंजी कोविड काल में भी तेज़ी से बढ़ती रही, वे देश की कुल संपत्ति के पचास फीसदी के मालिक हो गए हैं। जबकि इसी दौरान छोटे मंझोले कारोबारियों के धंधे चौपट हो गए, जिससे छोटे उद्योगों में लगे गरीबों की रोज़ी रोटी खत्म हो गई। देश और ज्यादा असमानता की ओर चला गया।