नई दिल्ली। केंद्र सरकार दो करोड़ रुपये तक के कर्ज के ब्याज पर लगने वाले ब्याज को माफ करेगी। सरकार यह सहूलियत 6 महीने को मोरेटोरियम पीरियड के लिए देगी, जिसे अगस्त से शुरू हुआ माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि अभूतपूर्व परिस्थितियों को देखते हुए यह बेहतर होगा कि सरकार ब्याज पर लगने वाले ब्याज को खुद चुकाए। केंद्र सरकार ने कहा कि इसके लिए संसद की अनुमति ली जाएगी। 

बताया जा रहा है कि यह सुविधा उन कर्ज लेने वालों को भी मिलेगी जो अपना बकाया चुका चुके हैं। कहा यह भी जा रहा है कि सरकार के इस कदम से छोटे कर्जदारों को राहत मिलेगी। सरकार ने कहा कि शिक्षा, घर, क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाने इत्यादि के लिए लिए गए लोन पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं चुकाना होगा। 

इससे पहले रिजर्ब बैंक ऑफ इंडिया ने 22 अगस्त को लोन मोरेटोरियम अवधि 31 अगस्त तक बढ़ा दी थी। मार्च में केंद्रीय बैंक न किस्तों पर ब्याज ना चुकाने के लिए तीन महीने की छूट दी थी। 

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हर तरह के लोन पर लगने वाले ब्याज पर छूट दी जाती है तो इससे विभिन्न बैंकों पर 6 खरब रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इससे बैंकों की कुल संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाएगा और उनके अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। 

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इससे पहले 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटेरियाम का मामला पांच अक्टूबर तक स्थगित कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार, आरबीआई और दूसरे बैंकों को समस्या का समाधान निकालने का आदेश दिया था। तीन सितंबर को कोर्ट ने आदेश दिया था कि ब्याज ना चुका पाने पर खातों को एनपीए की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता। 

दूसरी तरफ मोरेटेरियम पीरियड में ब्याज पर लगने वाले ब्याज के खिलाफ याचिका डालते हुए गजेंद्र शर्मा ने कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि महामारी की वजह से लोग कठिनाई का सामना कर रहे हैं और उनकी आय कम हो गई है। 


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