SC: EMI ब्याज मामले में केंद्र को फटकार, जनता का हित सोचे सरकार

Loan Moratorium Case: कोरोना में लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पण, कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन से ही बढ़ा आर्थिक संकट

Updated: Aug 27, 2020, 04:20 AM IST

courtsey : India Today
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नई दिल्ली। लोन मोरेटोरियम अवधि में EMI पर ब्याज में छूट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि लोन मोरेटोरियम की 6 महीने की अवधि के दौरान कर्ज पर ब्याज में राहत को लेकर केंद्र सरकार को तत्काल अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने 1 सितंबर तक मामले में केंद्र को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए कहा है कि सरकार अब रिजर्व बैंक के पीछे नहीं छिप सकती है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट बुधवार को कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए लोन की ईएमआई को स्थगित किए जाने के फैसले के बीच ब्याज ब्याज को माफ करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार की कथित निष्क्रियता को संज्ञान में लेते हुए सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा, 'आप रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे नहीं छिप सकते और बस कारोबार के बारे में नहीं सोच सकते, आपको जनता के हित के बारे में ध्यान देना चाहिए।'

जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता में मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि केंद्र ने मामले पर अबतक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है, जबकि डिजैस्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत उसके पास पर्याप्त शक्तियां थी लेकिन वह आरबीआई के पीछे छिपी रही है।

लॉकडाउन के चलते उपजा आर्थिक संकट

कोर्ट ने मामले की सुनवाई 1 सितंबर तक के लिए स्थगित करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि आप अपना रुख स्पष्ट करें क्योंकि देशभर में आर्थिक संकट आपके द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण ही पैदा हुआ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। एसजी ने इस दौरान तर्क दिया कि सभी समस्याओं का हल एक सामान नहीं हो सकता और हम आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

CLICK:  31 अगस्त के बाद EMI में छूट पर फैसला नहीं

मामले पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को खत्म हो रही है। 1 सितंबर के बाद इस तरह के कर्ज न चुकाने पर डिफॉल्ट मान लिया जाएगा और ये लोन एनपीए में तब्दील हो जाएंगे। जबतक इस दलीलों पर फैसला नहीं हो जाता तबतक विस्तार खत्म नहीं होना चाहिए।

मोदी सरकार के दौरान आठ आर्थिक सलाहकारों का इस्तीफा

बता दें कि मोदी सरकार के दौरान खराब चल रहे देश की अर्थव्यवस्था के बीच पिछले 4 वर्षों में ही आठ आर्थिक सलाहकारों ने समय से पूर्व अपना इस्तीफा दिया है। कुछ लोगों ने केंद्र सरकार से टकराव की वजह से पद छोड़ी है तो कुछ लोगों ने निजी करणों का हवाला देकर अपना पद छोड़ना उचित समझा। इनमें नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया, पीएम के आर्थिक सलाहकार सुरजीत भल्ला, भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन, आरबीआई गवर्नर ऊर्जित पटेल, विजयलक्ष्मी जोशी, पिसी मोहनन और जेवि मीनाक्षी शामिल हैं।