नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि दो करोड़ रुपये तक के कर्ज के ब्याज पर लगने वाले ब्याज को 5 नवंबर तक कर्जदारों को लौटा दिया जाएगा। सरकार का यह हलफनामा उन कर्जदारों के संदर्भ में है, जो एक मार्च से 31 अगस्त तक की अवधि में नियमित रूप से EMI चुकाते रहे हैं। सरकार ने ऐसे कर्जदारों को कैशबैक देने की घोषणा की थी। यह कैशबैक उन कर्जदारों को ही मिलेगा, जिन्होंने कुछ निश्चित श्रेणियों के कर्ज लिए हैं। कोरोना वायरस संकट के कारण उपजी आर्थिक परेशानी को लेकर इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली गई थी।
अपने हलफनामे में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कहा, "केंद्र सरकार ने कर्ज देने वाले प्रत्येक संस्थान को निर्देश दिया है कि पांच नवंबर तक निश्चित श्रेणियों के दो करोड़ रुपये तक के कर्ज पर लगने वाले सामान्य ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज के अंतर को कर्जदारों को लौटा दिया जाए।"
केंद्र सरकार ने कहा कि कैशबैक उन सभी कर्जदारों को मिलना चाहिए जो मोरेटोरियम की अवधि में पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से ब्याज देते रहे हैं। कैशबैक देने के बाद कर्ज देने वाले संस्थान ही केंद्र सरकार से इसकी भरपाई करेंगे। जिन लोगों ने मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए छह महीने तक EMI नहीं भरी है, उन्हें ब्याज पर ब्याज भरने से राहत सरकार पहले ही दे चुकी है।
केंद्र सरकार की यह योजना कुछ निश्चित श्रेणियों के कर्ज पर ही लागू होगी। इसके तहत घर और शिक्षा और वाहन के लिए लिया गया कर्ज, क्रेडिट कार्ड का बकाया, एमएसएमई, कंज्यूमर ड्यूरेबल और खपत कर्ज को कवर किया जाएगा। सभी बैंकिंग कंपनियों, सरकारी बैंकों, सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, वित्तीय संस्थानों, आरबीआई के साथ जुड़ी हुई हाउजिंग फाइनेंस कंपनियों, हाउजिंग बैंकों और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को सरकार के इस निर्देश का पालन करना पड़ेगा।
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इससे पहले 14 अक्टूबर को इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस अशोक भूषण के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच ने सरकार से कहा था कि उसे जल्द से जल्द इस संबंध में कोई फैसला लेना होगा और इस बार आम आदमी की दिवाली केंद्र सरकार के हाथों में है। वित्त मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को 21 अक्टूबर को ही मंजूरी दे दी थी।