भोपाल/होशंगाबाद। मध्य प्रदेश के कई इलाकों में धान में रोग लगने से किसान परेशान हैं। होशंगाबाद के पिपरिया में धान में ऐसा रोग लग रहा है, जिसे दूर करने में दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं। फसलें खराब होने से किसान निराश हो रहे हैं लेकिन उन्हें इसका कोई समाधान नहीं सूझ रहा है। 

पिपरिया के किसानों का कहना है कि एक तो खेती की लागत बढ़ती जा रही है, ऊपर से नई-नई बीमारियों की वजह से खेतों में धान की फसलें सूख रही हैं। धान में ऐसा रोग लग रहा है, जिससे धान की बालियां सफेद होकर सूखने लगती हैं। दवाएं छिड़कने का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। किसान की सारी फसल बर्बाद हो रही हैं। स्थानीय भाषा में धान की फसल में लग रही इस बीमारी को 'गर्दन तोड़' कहते हैं। इसका कीड़ा धान की बाली निकलते ही उसका रस चूस लेता है। जिसके कारण धान की बालियां सफेद पड़ जाती हैं और धान के दाने पड़ने की संभावना कम हो जाती हैं। 

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फसलों में फफूंद लग जाती है, तब यह बीमारी फैलती हैं। उनका कहना है कि सही दवा का इस्तेमाल करके इस बीमारी को रोका जा सकता है, पर अक्सर किसान कई दवाएं मिलाकर डाल देते हैं, जिससे बीमारी खत्म नहीं हो पाती है। होशंगाबाद कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक धान में ब्लास्ट रोग का प्रकोप तो पहले से ही था, अब बालियों में कीड़ा लगने की नई बीमारी भी आ गई है। जिसकी जांच कराई जा रही है। प्रभावित गांवों में कृषि वैज्ञानिकों की टीमें भेजी गई थीं। शिकायत मिलने पर अन्य जगहों पर भी टीमें पहुंचाई जा रही हैं। 

स्थानीय किसानों का कहना है कि सितंबर महीने में लगाई गई उड़द और तिल सहित अन्य खरीफ की फसलें ज्यादा बारिश की वजह से गल गईं। सोयाबीन में तो फली भी नहीं आई है। अच्छी बारिश की वजह से धान की फसल से उम्मीद थी, लेकिन ब्लास्ट रोग लगने के बाद अब धान की फसल भी खराब हो रही है।