ईरान ने चाबहार रेलवे लाइन प्रोजेक्ट से भारत को हटा दिया है। इसके लिए ईरान ने भारत की तरफ से फंड ना मिलने को वजह बताया है। यह रेलवे लाइन प्रोजेक्ट ईरान के चाबहार बंदरगाह को जाहेदान से जोड़ेगा। अब ईरान खुद ही इसका निर्माण करेगा। चार साल पहले इस प्रोजेक्ट को लेकर भारत और ईरान के बीच सहमति बनी थी। ईरान का कहना है कि 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा कर लिया जाएगा। ईरानियन नेशनल डेवलपमेंट फंड से इसमें 400 मिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू को अनुसार इस प्रोजेक्ट से ईरान ने भारत को तब हटाया है जब उसने चीन के साथ आगामी 25 सालों के लिए 400 अरब डॉलर की आर्थिक और सुरक्षा साझेदारी का समझौता किया है। यह समझौता ईरान के बैंकिंग, संचार, बंदरगाह, रेलवे और दूसरे दर्जन भर क्षेत्रों में चीन की हिस्सेदारी बढ़ा देगा। चीन को अगले 25 साल के लिए ईरान से कम पैसों पर तेल का ठेका भी मिलेगा। दोनों देश के बीच सैन्य सहयोग को भी बढ़ाने का समझौता हुआ है।

भारत के लिए बड़ा नुकसान

विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता क्षेत्र में भारत के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है। यह रेलवे लाइन प्रोजेक्ट समझौता 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ईरानी राष्ट्रपति रूहानी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अब्दुल घनी की उपस्थिति में हुआ था। भारत ने तब अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए वैकल्पिक ट्रेड रूट विकसित करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई थी। लेकिन अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगा देने के बाद भारत ने कभी भी इस ओर काम शुरू नहीं किया।

हालांकि, चाबहार रेलवे लाइन प्रोजेक्ट के लिए अमेरिका ने प्रतिबंध हटा दिए हैं लेकिन भारत को उपकरणों की आपूर्ति करने वालों को खोजने में खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। डर इस बात का है कि इन आपूर्तिकर्ताओं से अमेरिका हर्जाना वसूल सकता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।