भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने पिछले साल 65 करोड़ रुपए में लग्जरी प्लेन खरीदा था। बीते महीने गुजरात से दवा लाते वक्त हादसे का शिकार होकर यह प्लेन ग्वालियर एयरपोर्ट पर धूल फांक रहा है। इसका मेंटिनेंस नहीं हो पा रहा है। इस बीच राज्य सरकार ने हर घंटे पांच लाख रुपए  किराए पर दूसरा विमान लेने की तैयारी कर ली है। मगर प्लेन किराए को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि दाल में कुछ काला लगता है।



राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने विमान के प्रस्ताव को सार्वजनिक करने की मांग की है। तन्खा ने ट्वीट किया है कि, 'मप्र सरकार से मेरा आग्रह है कि किन किन विमान कम्पनियों ने जहाज़ के hiring quotes दिये हैं वह जनता को पब्लिक करे। किसका quote 5 लाख प्रति घंटे accept किया वह भी पब्लिक करे। अगर यह नहीं किया जाता तो मै मान लूंगा की दाल में कुछ काला है।' 





शिवराज सरकार ने पिछले साल अमेरिकी एविएशन कंपनी ट्रैक्सट्रॉन से 65 करोड़ रुपए की मोटे रकम में 7 सीटर बी-200जीटी/वीटी एमपीक्यू प्लेन खरीदा था। उस वक्त तक देश में इतनी लग्जरी और अत्याधुनिक स्टेट प्लेन रखने वाला हरियाणा के बाद मध्यप्रदेश दूसरा राज्य बना था। बीते 6 मई को सरकार का यह प्लेन रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर गुजरात से ग्वालियर आ रहा था, तब सेना के महाराजपुरा एयरबेस पर लैंडिंग के दौरान बैरियर से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।



इस मामूली दुर्घटना में विमान के कॉकपिट के आगे का हिस्सा, प्रोपेलर ब्लेड और पहिए क्षतिग्रस्त हो गए थे। इस हादसे के बाद जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई, वह ये थी कि राज्य सरकार ने इतने महंगे विमान का बीमा तक नहीं करवाया था। अब प्लेन का मेंटेनेंस खर्च भी राज्य सरकार को ही उठाना होगा। इस लग्जरी विमान के मेंटेनेंस का काम अमेरिकी कंपनी के एक्सपर्ट्स ही कर सकते हैं। देश में कोरोना को देखते हुए कंपनी ने अगले दो महीनों तक अपने एक्सपर्ट्स भारत भेजने से इनकार कर दिया है। इसलिए यह विमान ग्वालियर में कबाड़ जैसा खड़ा है।



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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए राज्य के पास अब कोई उड़नखटोला नहीं है। हालांकि, सीएम को कोई असुविधा न हो इसके लिए भी व्यवस्था कर ली गयी है। राज्य सरकार एक 7 सीटर टर्बाे पोर्प विमान किराए पर लेगी। इसका किराया हर घंटे का पांच लाख रुपए बताया जा रहा है। विमान का उपयोग न होने की स्थिति में भी सरकार को इसके लिए हर महीने न्यूनतम 30 से 31 घंटे का किराए अनिवार्य रूप से भुगतान करना होगा। यही बात विपक्ष के गले नहीं उतर रही है।