नई दिल्ली। कांग्रेस मुख्यालय में शनिवार को असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस (KKC) के राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। इसमें 24 राज्यों के 530 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। अधिवेशन का उद्घाटन राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, केकेसी चेयरमैन डॉ उदित राज, कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन और महासचिव मुकुल वासनिक ने संयुक्त रूप से की। कर्मचारी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिग्विजय सिंह ने राजनीति और जनसेवा के लिए पांच सूत्र दिए।
सिंह ने अपने संबोधन में कहा, 'जो भी व्यक्ति जनसेवा-राजनीति में आना चाहता है। उसे मैं हमेशा एक ही बात कहता हूं- यदि जनसेवा और राजनीति में आना है तो 5 चीजें बहुत आवश्यक हैं। संपर्क, संवाद, समन्वय, सामंजस्य और सकारात्मक सोच। इन पांच सूत्रों पर मैंने जीवनभर अपनी राजनीति की है।'
राज्यसभा सांसद सिंह ने देश की वर्तमाता सियासी हालातों को लेकर कहा कि आज देश में विचारधारा की लड़ाई है। एक विचारधारा एक्सट्रीम लेफ्ट (कम्युनिस्ट पार्टी) है। दूसरी विचारधारा सेंटरिस्ट (कांग्रेस और अन्य समाजवादी पार्टियां) और एक है दक्षिणपंथी (BJP-RSS) यानी जो केवल व्यवसाय और बड़े-बड़े कॉर्पोरेट का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग कभी राइट विंग के साथ नहीं हो सकता क्योंकि वो शोषण करते हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि राइट विंग के लोग आज पूरे देश में नीतियां इस प्रकार की बना रहे हैं कि उनका पूरा लाभ केवल उद्योग और बड़े-बड़े उद्योगपतियों को मिले। इसके कारण आज देश की 50 फीसदी संपत्ति केवल 200 परिवारों के पास है। ये परिवार आज भारतीय जनता पार्टी, नरेंद्र मोदी और RSS के समर्थक हैं। सिंह ने आरोप लगाया कि BJP जनसेवा के लिए नहीं, धनसेवा के लिए काम करती है। कोई भी BJP नेता बिना लेन-देन के बात नहीं करता। आज BJP मूल रूप से व्यावसायिक पार्टी बन चुकी है।
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री के पुराने भाषण का जिक्र करते हुए कहा, 'मोदी कहते थे कि ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा लेकिन 11 साल में साफ हो गया कि खूब खाओ-खूब खिलाओ। आप देखिए- दिल्ली के एक हाई कोर्ट के जज के घर में आग लगी। जब फायर ब्रिगेड आई तो एक कमरे में इतने नोट मिले जिनकी गिनती तक नहीं हो सकी। इतना कुछ हुआ लेकिन प्रधानमंत्री-BJP-गृह मंत्री ने एक शब्द भी नहीं कहा।'
सिंह ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ RSS का संगठन है लेकिन आज उसकी भी आवाज बंद है। उससे कहा गया है कि तुम चुप रहो। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन की गाइडलाइन है कि जो भी देश जिनेवा लेबर कन्वेंशन का सिग्नेटरी है। उसे हर साल में एक त्रिपक्षीय बैठक रखना अनिवार्य है।।ये तीन पक्ष हैं- मजदूर, मालिक और सरकार। मोदी जी साल 2014 में आए। पहली और आखिरी त्रिपक्षीय बैठक 2015 में हुई। उसके बाद से लेकर आजतक कोई भी ऐसी त्रिपक्षीय बैठक नहीं हुई है।
सिंह ने कहा कि, 'देश में पहले मजदूरों के लिए 44 कानून थे, इस सरकार ने सब खत्म कर 4 लेबर कोड बना दिए। आज उन 4 कोड का पालन भी नहीं हो रहा। इस देश में 50 करोड़ से ज्यादा मजदूर हैं लेकिन उनमें से महज 1 करोड़ मजदूर सेंट्रल लेबर यूनियन के सदस्य हैं।' इस अधिवेशन में कई प्रस्ताव पास किए गए, जिसमें से एक यह भी है कि प्रस्तावित नए श्रमिक कानून को किसी भी हालत में नहीं लागू करने दिया जाएगा, इसके लिए दिल्ली सहित सभी प्रदेशों की राजधानियों और फिर जिलास्तर पर आंदोलन किया जाएगा।