भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार शराब की होम डिलीवरी की योजना पर अमल की तैयारी कर रही है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक नई आबकारी नीति में इसका मसौदा लगभग तैयार हो चुका है। इसपर सीएम शिवराज की मुहर लगते ही प्रदेशवासी ऑनलाइन ऑर्डर करना शुरू कर देंगे। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस बीजेपी ने विपक्ष में रहने के दौरान तत्कालीन कमलनाथ सरकार के ऐसे ही प्रस्ताव को लेकर हंगामा किया था, आज उसी की सरकार इसे लागू करने जा रही है।



बीजेपी की इस विरोधाभासी नीति पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने करारा तंज़ किया है। उन्होंने शिवराज सरकार को शराब प्रेमी तक करार दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट किया है, 'एक तरफ़ तो बातें कभी शराबबंदी की , कभी शराब की दुकानो को कम करने की , कभी शराब के ख़ात्मे की लेकिन दूसरी तरफ़ काम निरंतर शराब के व्यवसाय को बढ़ाने का? कभी शराब की दुकाने बढ़ाने का प्रस्ताव और अब होम डिलेवरी की तैयारी?'



 





 



कमलनाथ ने आगे लिखा, 'मै तो शुरू से कहता हूँ कि शिवराज सरकार में लोगों को घर-घर राशन भले ना मिले लेकिन शराब ज़रूर मिलती है। शराब प्रेमी शिवराज सरकार में कोरोना महामारी में भी भले धार्मिक स्थल बंद रहे, व्यापार- व्यवसाय बंद रहे , शादी के आयोजन नहीं हुए, कर्फ़्यू रहा लेकिन शराब की दुकानें देर रात तक निर्बाध रूप से चालू रहीं।'



शराब पर हंगामा है क्यों बरपा



दरअसल, बीते दिनों मध्य प्रदेश में जहरीली शराब पीने से 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद बीजेपी सरकार को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। इसके बाद गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दलील दी कि राज्य के लोगों को नकली शराब से बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शराब की दुकानें खोलनी चाहिए। आबकारी आयुक्त द्वारा प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर्स को चिट्ठी कहा गया है कि वे अपने इलाके में शराब की नई दुकानें खोलने के लिए प्रस्ताव भेजें। उन ग्रामीण इलाकों के लिए तो अनिवार्य रूप से प्रस्ताव भेजने को कहा गया है जहां अब तक शराब की दुकानें नहीं हैं।



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इतना ही नहीं अब खबर आई कि नकली शराब से लोगों को बचाने के लिए सरकार अब होम डिलीवरी भी करवाएगी। राज्य सरकार की वर्ष 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति का ड्राफ्ट वाणिज्यिक कर व आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा के पास पहुंच चुका है। यहां से मंजूरी के बाद इसे मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। सरकार नई नीति को फरवरी में ही मंजूरी देगी और मार्च में नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।



आधार और ओटीपी होगा जरूरी



रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑनलाइन आर्डर के माध्यम से शराब पीने के लिए लोगों के पास आधार कार्ड जरूरी होगा। ऑनलाइन आर्डर करने के बाद लोगों को अपना आधार नंबर देना होगा जिसके बाद फोन पर ओटीपी जेनरेट होगी। इससे पहले छत्तीसगढ़ सरकार ने लॉकडाउन के दौरान शराब की होम डिलीवरी की व्यवस्था शुरू की थी ताकि ठेकों पर भीड़भाड़ को रोक कोरोना पर नियंत्रण की जा सके।



छत्तीसगढ़ में क्या है प्रक्रिया



चूंकि मध्यप्रदेश में ऑनलाइन ऑर्डर की प्रक्रिया भी लगभग छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधरित रहेगी। छत्तीसगढ़ में ग्राहकों को ऑनलाइन ऑर्डर के लिए सरकार के ऐप में लॉग इन करना होता है। ग्राहक ऐप पर अपनी नजदीकी दुकान का चयन कर वहां मौजूद ब्रांड्स की लिस्ट और उनकी कीमतें देखकर मनपसंद शराब ऑर्डर कर सकता है। इस दौरान ग्राहक को पूरा पता, मोबाइल नंबर और आधार नंबर दर्ज कराना होता है। इसके बाद ग्राहक को ओटीपी भेजा जाता है जिसे डिलीवरी बॉय को बताना होता है।



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उमा भारती कर चुकी हैं फैसले का विरोध



ऑनलाइन शराब बिक्री का प्रस्ताव पूर्व में कमलनाथ सरकार भी लाई थी। तब बीजेपी ने उसका कड़ा विरोध किया था। बीजेपी नेता रामेश्वर शर्मा ने तो यहां तक कह दिया था कि यह कमलनाथ सरकार दारू बेचने वाली सरकार है। अब जब शिवराज सरकार यह प्रस्ताव ला रही है तो रामेश्वर शर्मा खामोश हैं। हालांकि बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम उमा भारती ने शराब की ज्यादा दुकानें खोलने की शिवराज सरकार की पहल का खुला विरोध कर चुकी हैं। उमा भारती ने कहा है कि सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे कोई मां अपने बच्चे को ज़हर पिला दे, सरकारी तंत्र द्वारा शराब की दुकानें खोलना भी ऐसा ही है।' इतना ही नहीं उमा ने सीएम शिवराज से मध्य प्रदेश में शराबबंदी करने की भी मांग की है।