दिल्ली बॉर्डर पर दो दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक, गृह मंत्रालय का आंदोलन के सभी स्थलों के लिए निर्देश

गृह मंत्रालय ने गाजीपुर, सिंघु और टिकरी बॉर्डर वाले इलाकों में 31 जनवरी तक के लिए इंटरनेट सुविधा पर लगाया प्रतिबंध, किसानों को इंटरनेट रोककर कार्रवाई की आशंका

Updated: Jan 30, 2021, 01:15 PM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में चल रहे किसान आंदोलन ने एक बार फिर से रफ्तार पकड़ लिया है। गणतंत्र दिवस पर उपद्रव के बाद आंदोलन के पस्त होने की जो संभवनाएं जताई जा रही थी उनपर विराम लगाते हुए किसानों ने दोगुनी उत्साह से एकजुटता दिखाते हुए आंदोलन का रुख किया है। इसी बीच अब यह खबर आ रही है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी आंदोलन स्थलों पर इंटरनेट को सस्पेंड करवा दिया है। आशंका है कि सरकार इंटरनेट पर रोक लगाकर किसान आंदोलन को कुचलने के लिए सख्त कार्रवाई कर सकती है।

इंटरनेट के निलंबन संबंधी केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिंघु, गाज़ीपुर और टिकरी बॉर्डर एवं उससे आसपास के इलाकों में इंटरनेट सेवाओं को अस्थायी तौर पर बंद कर दिया गया है। यह बैन 29 जनवरी की रात 11 बजे से 31 जनवरी की रात 11 बजे तक के लिए प्रभावी रहेगा। सरकार ने देश के सभी निजी और सरकारी टेलिकॉम कम्पनियों से इन आदेशों का पालन करने के लिए कहा है। इतना ही नहीं प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रीय राजमार्ग और गाज़ीपुर बॉर्डर के पास आवागमन के दोनों रास्तों को भी बंद कर दिया गया है। 

 

 

मामले पर किसान नेताओं ने कहा कि, 'हम जहां बैठे हैं वहां पर सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया है, हरियाणा में भी इंटरनेट बंद कर दिया है। कई बार पानी, बिजली बंद कर देते हैं। सरकार हमारे आंदोलन को कुचलने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हम दिल्ली में लोगों से शांतिपूर्ण विरोध में शामिल होने की अपील करते हैं। अगर कोई आपको उकसाने की कोशिश करता है तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम युद्ध में नहीं जा रहे हैं। यह हमारा ही देश है।'

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गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए उपद्रव के बाद धीमा पड़ा किसानों का आंदोलन शुक्रवार से एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। धरनास्थलों पर किसानों का हुजूम बढ़ने का सिललिसा लगातार जारी है वहीं आंदोलन स्थल एक बार फिर से गुलजार हो गए हैं। गणतंत्र दिवस के बाद पुलिस और प्रशासन की सख्ती के बाद एक बार के लिए यह लगा कि यह आंदोलन यहीं थम जाएगा, लेकिन किसानों ने सभी अटकलों और संभावनाओं पर विराम लगाते हुए अपने दृढ़ता और एकजुटता का परिचय दिया है।

आंदोलन के जोर पकड़ने की शुरुआत बुधवार शाम को ही हो गई थी जब देश के किसानों में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के आंसुओं को देखा था। इसके बाद देश के किसान चल पड़े थे बाबा टिकैत के पगड़ी का लाज बचाने। टिकैत भी किसानों के इस समर्थन के बाद पूरे जोश के साथ तिरंगा लहराते नजर आए। वहीं कल सिंधु बॉर्डर पर कथित स्थानीय लोगों के हमले के बाद पंजाब और हरियाणा के किसान भी पूरी दमखम के साथ आंदोलन में शामिल होने के लिए निकल पड़े।

26 जनवरी को गाजीपुर में पानी बिजली की रोक के बाद राकेश टिकैत ने कहा था कि वे अपने गांव का ही पानी पिएंगे, जिसके बाद किसान उनके लिए मटकों में पानी भरकर गांवों से निकले और गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे थे। मटके से पानी पीकर राकेश टिकैत ने किसानों का शुक्रिया किया था।