शिवराज ने कहा, नई शराब दुकानें खोलने पर फैसला नहीं, फिर कमिश्नर ने कैसे कर ली तैयारी

आबकारी आयुक्त ने सभी कलेक्टरों को पत्र भेजकर नई शराब दुकानें खोलने के प्रस्ताव, जिन गांवों में शराब की दुकानें नहीं है वहां के लिए प्रस्ताव भेजना अनिवार्य

Updated: Jan 22, 2021, 04:00 AM IST

Photo Courtesy: Zee News
Photo Courtesy: Zee News

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक तरफ ये कहते रहे कि प्रदेश में शराब की नई दुकानें खोलने का कोई फैसला अब तक नहीं हुआ है, दूसरी ओर राज्य के आबकारी आयुक्त ने सभी जिलों के कलेक्टर को चिट्ठी लिख दी कि वे अपने इलाके में शराब की नई दुकानें खोलने के लिए प्रस्ताव भेजें। उन ग्रामीण इलाकों के लिए तो अनिवार्य रूप से प्रस्ताव भेजने को कहा गया है जहां अब तक शराब की दुकानें नहीं हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे ने गुरुवार देर शाम कलेक्टरों को पत्र भेजकर नई दुकानें खोलने के प्रस्ताव मांगे हैं। आयुक्त ने पत्र में कलेक्टरों से साफ तौर पर कहा है कि शहरी क्षेत्रों में कुल दुकानों की संख्या का न्यूनतम 20% तक नई शराब की दुकानें खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजें। साथ ही पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले उन गांवों को चिन्हित कर प्रस्ताव भेजने को कहा गया है जहां फिलहाल कोई शराब दुकान नहीं हैं। इतना ही नहीं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व बढ़ाने और अपराध के नियंत्रण की दृष्टि से भी नई दुकानों का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया है।

आबकारी आयुक्त के इस पत्र के बाद यह साफ हो गया है कि लोगों को नकली शराब के प्रकोप से बचाने के नाम पर मध्य प्रदेश सरकार सभी गांवों में शराब का ठेका खोलने की तैयारी में है। हैरानी की बात यह है कि खुद मुख्यमंत्री इस मामले में विवाद बढ़ने पर सफाई दे चुके हैं कि अब तक सरकार ने इस बारे में कोई फैसला नहीं किया है। फिर सवाल यह है कि अगर सरकार ने फैसला ही नहीं किया तो उसके अफसरों ने फैसले पर अमल की तैयारी कैसे शुरू कर दी?

खास बात यह है कि शराब की नई दुकानें खोलने की सरकार की तैयारी की बात सामने आने के बाद से ही उसका विरोध हो रहा है। कांग्रेस के बाद अब खुद बीजेपी नेता भी राज्य में शराब ठेके बढ़ाने की कवायद का खुला विरोध करने लगे हैं। गुरुवार को ही पूर्व सीएम व दिग्गज बीजेपी नेता उमा भारती ने सिलसिलेवार तरीके से ट्वीट कर शराबबंदी की वकालत की थी। हालांकि, उमा के ट्वीट्स का सरकार पर कोई असर पड़ती नहीं दिख रही है।

उमा भारती ने अपने ट्वीट में लिखा कि, 'सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है। जैसे कोई मां अपने बच्चे को ज़हर पिला दे, सरकारी तंत्र द्वारा शराब की दुकानें खोलना भी ऐसा ही है। यह बड़े आश्चर्य की बात है कि शराब मृत्यु का दूत है। फिर भी थोड़े से राजस्व का लालच एवं शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है।'

इतना ही नहीं उमा भारती ने तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से यहां तक अपील कर दी कि बीजेपी शासित सभी राज्यों में शराबबंदी व्यवस्था लागू की जाए। उन्होंने ट्वीट किया, 'मैं तो जेपी नड्डा जी से ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि जहां भी भाजपा की सरकारे हैं, उन राज्यों से पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए। शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है शराब बंदी से राजस्व को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है किंतु शराब के नशे में बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं छोटी बालिकाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं भयावह हैं तथा देश एवं समाज के लिए कलंक है।'