भोपाल। मध्य प्रदेश में मोहन यादव सरकार बनने के बाद बुधवार को पहली बार लाड़ली बहना योजना की राशि महिलाओं के खातों में हस्तांतरित की गई। भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लाड़ली बहनों के खातों में रुपए ट्रांसफर किए। हालांकि, इस बार 1.57 लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिला।

दरअसल, पिछले महीने के मुकाबले जनवरी 2024 में 1.57 लाख लाड़ली बहना हितग्राही कम हो गईं। दिसंबर में 1 करोड़ 30 लाख 84 हजार 756 हितग्राही थी। जनवरी में घटकर 1 करोड़ 29 लाख 26 हजार 835 ही हैं। ओवरऑल देखें तो अक्टूबर महीने से संख्या घट रहा हैं। अक्टूबर में 1 करोड़ 31 लाख 2 हजार 182 हितग्राही थीं, जो घटकर अब 1 करोड़ 29 लाख 26 हजार 835 रह गईं। यानी योजना में कुल 1 लाख 75 हजार 347 महिलाओं की संख्या घटी हैं।

सरकार के दावों के मुताबिक हितग्राहियों की संख्या घटने के पीछे तीन कारण हैं। पहला मौत, दूसरा स्वेच्छा से योजना छोड़े जाना, तीसरा उम्र 60 साल से अधिक होना। 154 हितग्राहियों की मौत हो गई, 18,136 ने स्वेच्छा से परित्याग कर दिया और 804 महिलाओं का आधार डी लिंक हो गया। सबसे ज्यादा 1 लाख 56 हजार 253 हितग्राहियों को इसलिए योजना से बाहर किया गया क्योंकि उनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक हो चुकी है 

दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल उठाते हुए कहा है कि प्रदेश की लाखों लाड़ली बहनों से झूठ बोल कर वोट ले लिए और अब उन्हीं में से 2 लाख बहनों की छंटनी कर दी। जनता खुद देखे लोकसभा चुनाव के बाद ये संख्या कितनी बचेगी, ये तो नए CM मोहन यादव ही तय करंगे। 

सिंघार ने कहा कि नए CM क्यों चाहेंगे कि लाड़ली बहना के 'प्यारे भैया' शिवराज जी ही बने रहें और मोहन यादव आपकी योजना को कर्ज लेकर ढोते रहें। लाड़ली बहना योजना को लेकर लोगों की शंका गलत नहीं है कि CM बदलते ही इस योजना पर तलवार लटकी है। सरकार भले भाजपा की है, लेकिन CM का चेहरा तो नया है। अब लाड़ली बहनों को भी समझ आ रहा है कि ये बीजेपी का चुनावी पाखंड था, जिसका रंग उतरने लगा है।