भोपाल। मध्यप्रदेश में तीस हजार से ज्यादा युवा शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल होने के बाद भी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के दो साल बाद भी उनकी ज्वानिंग नहीं हो पाई है, जिसके विरोध में चयनित शिक्षक संघ ने भोपाल के लोक शिक्षण संचालनालय में गुरुवार को प्रदर्शन किया। युवाओं का कहना है कि अब ना तो वे प्राइवेट नौकरी कर पा रहे हैं, और ना ही उन्हें सरकारी नौकरी मिली है। एक परीक्षा में चयनित होने के बाद अब वे किसी अन्य परीक्षा में भी भाग नहीं ले पा रहे हैं।



प्राइवेट स्कूलों से उन्हें यह कह कर निकाला जा रहा है कि आप तो सरकारी नौकरी के लिए चुन लिए गए हैं, आधे में स्कूल छोड़कर भाग जाएंगे। वहीं शिक्षा विभाग डाक्यूमेंट वेरिफिकेशन के नाम पर लोगों को रिजेक्ट कर रही है। इन सब से परेशान होकर सैकड़ों चयनित शिक्षकों ने प्रदर्शन किया और कान पकड़कर कहा हमने पढ़ लिखकर अपराध किया है।



 





दरअसल फरवरी 2019 में शिक्षक परीक्षा हुई थी, जिसके कुछ महीनों चयनित लोगों की लिस्ट जारी हो गई। फिर कोरोना लॉकडाउन और मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन की वजह से मामला अटका रहा।



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अब जब वेरिफिकेशन शुरु हुआ है तो उसमें भी लोगों को कई वजहों से शॉर्ट लिस्ट किया जा रहा है।



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गुस्साए चयनित शिक्षकों का गुस्सा फूटा है। बीजेपी राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी भी अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा चुके हैं उन्होंने शिक्षक भर्ती में रोस्टर सिस्टम को विसंगतिपूर्ण कहा था।