डॉक्यूमेंट रिजेक्ट होने पर शिक्षा मंत्री के बंगले पर धरना देने पहुंचीं अभ्यर्थी, खाली हाथ लौटने पर होना पड़ा मजबूर

तीन घंटे तक धरना देने के बाद मंत्री के निजी सचिव ने की मुलाकात, निजी सचिव ने भी नहीं दिया अभ्यर्थियों को कोई आश्वासन

Updated: Jul 05, 2021, 12:18 PM IST

भोपाल। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के अंतिम दिन दस्तावेज रिजेक्ट होने के बाद कुछ अभ्यर्थी स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के आवास पर अपनी समस्या लेकर पहुंचे। लेकिन काफी इंतज़ार करने के बाद भी अभ्यर्थियों की मंत्री से मुलाकात नहीं हो पाई। अभ्यर्थियों को बताया गया कि मंत्री अपने आवास पर नहीं हैं। लेकिन अभ्यर्थी मंत्री के बंगले के बाहर अपनी समस्या और मांग को लेकर डटी रहीं।  

करीब तीन घंटे कड़ी धूप में इंतज़ार करने के बाद आखिरकार बंगले के अंदर मौजूद मंत्री के निजी सचिव अभ्यर्थियों से मिलने को तैयार हुए। लेकिन निजी सचिव के हाथों भी अभ्यर्थियों को निराशा हाथ लगी। बंगले पर अपनी समस्या लेकर पहुंचीं एक अभ्यर्थी ने बताया कि निजी सचिव ने उन्हें किसी प्रकार का आश्वासन देने से मना कर दिया। निजी सचिव ने कहा कि अब सिर्फ इंतज़ार करने के अलावा उनके पास कोई और दूसरा विकल्प नहीं है। और उनकी समस्याओं का हल निकलेगा भी या नहीं, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है। 

मंत्री के बंगले से निराशा हाथ लगने के बाद अभ्यर्थियों को खाली हाथ ही लौटने पर मजबूर होना पड़ा। एक अभ्यर्थी ने अपनी समस्या साझा करते हुए कहा कि हम लोग पिछले दो वर्षों से नियुक्ति का इंतज़ार कर रहे थे। लेकिन अंतिम समय में हमारे डॉक्यूमेंट रिजेक्ट कर दिए गए। जिस वजह से अब हमारा भविष्य अधर में लटक गया है।  

क्या है समस्या 

दरअसल मध्यप्रदेश उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित ज़्यादातर उम्मीदवारों के डॉक्यूमेंट दो कोर्सों का हवाला देकर या तो रिजेक्ट कर दिए गए हैं या फिर उन्हें होल्ड पर रख दिया गया है। डॉक्यूमेंट रिजेक्ट होने के बाद अपनी समस्या लेकर मंत्री के बंगले पर पहुंचीं उम्मीदवारों ने अपने ज्ञापन में इस बात का ज़िक्र किया था कि उनके दस्तावेजों को यह हवाला देकर रिजेक्ट किया गया है कि चूंकि उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर से स्नातक होने के बावजूद भर्ती परीक्षा में इंग्लिश को विषय चुना इसलिए उनके डॉक्यूमेंट को वेरिफाई नहीं किया जा सकता। अभ्यर्थियों ने अपने ज्ञापन में यह तर्क दिया कि चूंकि स्नातक के लगभग हर कोर्स में इंग्लिश विषय होता है ही इसलिए हम माध्यमिक स्कूलों में अंग्रेजी तो पढ़ाने के योग्य हैं ही। साथ ही अभ्यर्थियों ने अपने ज्ञापन में यह सवाल भी उठाया कि जब दो कोर्सों का हवाला देकर उनके डॉक्युमेंट को रिजेक्ट करना ही था तब परीक्षा के लिए उन्हें एनरोल करने की अनुमति किस आधार पर दी गई थी?