भोपाल। मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई एक बार फिर सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार से कड़ा सवाल पूछा कि जब 13% पद होल्ड पर हैं, तो उन पर नियुक्तियों में क्या दिक्कत है? कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से इस संबंध में हलफनामा दायर करने को कहा है।
कोर्ट नंबर 12 में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने सुनवाई की। यह केस सीरियल नंबर-35 पर लगा था। यह मामला मध्य प्रदेश की 51% ओबीसी आबादी के लिए उनके संवैधानिक हक को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। हालांकि, इस सुनवाई में तत्काल राहत नहीं मिली है, और करीब 70 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं।
बता दें कि मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा 2019 से चर्चा में है, जब तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% करने का बिल पास किया था।
हालांकि, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मार्च 2019 में इस बढ़े हुए 13% आरक्षण पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसके कारण कई भर्ती प्रक्रियाएं रुक गईं। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि भर्तियों में 14% ओबीसी आरक्षण लागू रहे और अतिरिक्त 13% पदों को होल्ड रखा जाए, जब तक कि अंतिम फैसला नहीं आता।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि एक्ट पास होने के बाद भी उम्मीदवारों को पांच साल से 27 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। सरकार 19 मार्च 2019 के हाईकोर्ट के एक पुराने अंतरिम आदेश का हवाला देकर आरक्षण से बच रही है। जबकि एक्ट पर कोई रोक नहीं है। इसे लागू किया जाए।