दिल्ली हाईकोर्ट ने रामदेव को दिया बड़ा झटका, पतंजलि च्यवनप्राश के भ्रामक विज्ञापन पर लगाई रोक
डाबर ने अपनी याचिका में कहा कि पतंजलि के विज्ञापनों में स्वामी रामदेव ने सीधे तौर पर यह कह दिया कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ही प्राचीन आयुर्वेदिक परंपराओं के अनुसार तैयार किया गया है, जबकि अन्य ब्रांड्स को आयुर्वेद का सही ज्ञान नहीं है।

नई दिल्ली। बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका मिला है। कोर्ट के एक आदेश से पतंजलि के च्यवनप्राश विज्ञापन पर रोक लग गई है। हाईकोर्ट ने गुरुवार को पतंजलि को निर्देश दिया है कि वह डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी नकारात्मक या भ्रामक विज्ञापन न दिखाए। यह आदेश जस्टिस मिनी पुष्करणा ने डाबर की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट में डाबर इंडिया लिमिटेड और पतंजलि आयुर्वेद के बीच च्यवनप्राश से जुड़े विज्ञापन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। डाबर का आरोप है कि पतंजलि अपने विज्ञापनों के ज़रिए डाबर के च्यवनप्राश को जानबूझकर साधारण और कमज़ोर बताकर बदनाम कर रहा है, जिससे उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा हो रहा है और डाबर की साख को नुकसान हो रहा है।
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दिसंबर 2024 में डाबर ने अपनी याचिका में कहा कि पतंजलि के विज्ञापनों में स्वामी रामदेव ने सीधे तौर पर यह कह दिया कि केवल पतंजलि का च्यवनप्राश ही प्राचीन आयुर्वेदिक परंपराओं के अनुसार तैयार किया गया है, जबकि अन्य ब्रांड्स को आयुर्वेद का सही ज्ञान नहीं है। डाबर ने कोर्ट में यह भी बताया कि उनका उत्पाद ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत बनाए गए सभी नियमों का पालन करता है, और वे बाज़ार में 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखते हैं।
साथ ही डाबर ने यह भी आरोप लगाया कि पतंजलि ने अपने विज्ञापन में 51 जड़ी-बूटियों के प्रयोग का दावा किया, जबकि उत्पाद में केवल 47 जड़ी-बूटियां पाई गईं। यहां तक कि उसमें पारा (mercury) जैसे हानिकारक तत्वों के उपयोग का भी आरोप लगा। फिलहाल पतंजलि च्यवनप्राश के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। केस में डाबर की तरफ से वरिष्ठ वकील संदीप सेठी ने वकालत की, जबकि पतंजलि की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव नायर और जयंत मेहता पेश हुए थे।
संदीप सेठी ने तर्क दिया कि पतंजलि अपने विज्ञापन में डाबर के च्यवनप्राश को सामान्य और आयुर्वेद की परंपरा से दूर बताकर प्रोडक्ट की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। इस विज्ञापन में स्वामी रामदेव खुद यह कहते नजर आते हैं कि जिन्हें आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, वे पारंपरिक च्यवनप्राश कैसे बना सकते हैं? दलीलों को सुनते हुए हाईकोर्ट ने फिलहाल पतंजलि के इस विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।