नई दिल्ली। विपक्ष के आठ राज्यसभा सांसदों को संसद के मौजूदा सत्र के बाकी बचे दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। पहले खबर आई थी कि उन्हें एक हफ्ते के लिए निलंबित किया गया है। लेकिन अब से थोड़ी देर पहले समाचार एजेंसियों ने बताया कि विपक्षी सांसदों का निलंबन सत्र में बाकी बचे दिनों के लिए किया गया है। विपक्षी सांसदों के खिलाफ ये कार्रवाई राज्यसभा के चैयरमैन वेंकैया नायडू ने की है। नायडू ने उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ पेश विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को भी ख़ारिज कर दिया है। वेंकैया नायडू के इन कदमों का विपक्षी दल जमकर विरोध कर रहे हैं। निलंबित किए गए सांसदों ने कार्रवाई का विरोध करते हुए सदन से बाहर जाने से इनकार कर दिया। जिसके बाद राज्य सभा की कार्यवाही को बार-बार स्थगित करना पड़ा। आखिरकार संदन की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। सभापति ने कहा कि जब तक निलंबित सांसद बाहर नहीं जाते सदन की कार्यवाही शुरू नहीं हो सकती। इसके बाद भी विपक्ष ने 8 सांसदों के निलंबन के खिलाफ विरोध करना जारी रखा और संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना भी दिया। 



 





कांग्रेस ने विपक्षी सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र विरोधी और मनमाने ढंग से की गई कार्रवाई बताया है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि उनकी पार्टी राज्यसभा के विपक्षी सांसदों का निलंबन वापस कराने के लिए विरोध प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भी विपक्षी सांसदों के निलंबन की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया है। 



 





आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी संसद परिसर में धरने पर बैठने की तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट करते हुए सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार भले ही कुछ भी दावा कर रही हो, नए विधेयकों में एमएसपी दिए जाने का कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने इस मसले पर सरकार के रुख को 'गज़नी मोड' का नाम भी दिया है।



 





 



 



सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष के जिन सांसदों को एक हफ्ते के लिए राज्यसभा से निलंबित किया वे  हैं - टीएमसी के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन और डोला सेन, कांग्रेस सांसद राजीव साटव, रिपुन बोरा और सैयद नजीर हुसैन, सीपीएम सांसद केके रागेश, एलामारन करीम और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह। नायडू ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि रविवार का दिन राज्यसभा के लिए बुरा था। कुछ सदस्य सदन के वेल में आए। कुछ सांसदों ने पेपर को फेंका। माइक तोड़ दिया। रूल बुक को फेंका गया। उपसभापति को काम करने से रोका गया। सांसद अपना आत्मनिरीक्षण करें।





सभापति नायडू ने उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के खिलाफ लाये गये विपक्ष के अविश्‍वास प्रस्‍ताव को भी यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि यह नियमों के हिसाब से ठीक नहीं है। सभापति की इस कार्यवाही का विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध किया। विपक्ष की 12 पार्टियों ने उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। यह अविश्वास प्रस्ताव राज्यसभा में रविवार को कृषि विधेयकों को पारित कराए जाने के दौरान उप-सभापति की भूमिका का विरोध करते हुए पेश किया गया था।



दरअसल, उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने विवादित कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पारित किए जाने का एलान कर दिया। जबकि विपक्षी सांसद इस पर मत विभाजन की मांग कर रहे थे। इसी के बाद टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति को दिखाकर रूल बुक फाड़ दी थी। राज्यसभा में कृषि विधेयक जिस ढंग से पारित कराए गए, उसे विपक्ष संसद के लिए काला दिन और लोकतंत्र की हत्या बता रहा है। हालांकि सरकार और बीजेपी सांसद कृषि बिलों के पारित होने को देश के किसानों के लिए ऐतिहासिक दिन बता रहे हैं। उनका आरोप है कि विपक्ष ने बिल पारित कराए जाने के दौरान न सिर्फ अमर्यादित बर्ताव किया, बल्कि संसद की गरिमा के साथ भी खिलवाड़ किया गया।