पटना। सुशांत सिंह राजपूत केस में लगातार बयानबाज़ी करने के कारण चर्चा में रहने वाले आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय ने बिहार के डीजीपी पद से रिटायरमेंट ले लिया है। पांडेय के VRS यानी स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के आवेदन को बिहार के राज्यपाल ने फौरन मंजूर कर लिया। डीजी होमगार्ड एसके सिंघल को फिलहाल बिहार के डीजीपी का प्रभार सौंपा गया है। गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना भी मंगलवार को ही जारी कर दी।

बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य के डीजीपी ने जिस तरह अचानक रिटायरमेंट ले लिया और सरकार ने भी उनका आवेदन मंजूर करने में जितनी तेजी दिखाई उससे राज्य में ये चर्चा तेज़ हो गई कि गुप्तेश्वर पांडेय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। खबरें यहां तक आईं कि वे अपने गृह जिले बक्सर से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। लेकिन गुप्तेश्वर पांडेय ने ऐसी खबरों को बेबुनियाद बताते हुए अपने चुनाव लड़ने की अटकलों को खारिज कर दिया है। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाते रहे हैं। सुशांत सिंह राजपूत केस में रिया चक्रवर्ती के खिलाफ जमकर बयानबाज़ी करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय कुछ समय पहले अपने गृह जिले बक्सर गए थे। तब ऐसी खबरें भी आई थीं कि उन्होंने वहां जेडीयू के स्थानीय नेताओं से मुलाकात भी की थी। 

जस्टिस फॉर सुशांत नहीं, जस्टिस ऑफ गुप्तेश्वर : रिया के वकील

डीजीपी के तौर पर कार्यकाल खत्म होने से पांच महीने पहले ही गुप्तेश्वर पांडेय के इस्तीफे और उसकी फौरन मंजूरी पर रिया चक्रवर्ती के वकील सतीश मानशिंदे ने तंज़ कसा है। मानशिंदे ने कहा है कि यह जस्टिस फॉर सुशांत नहीं, यह जस्टिस ऑफ गुप्तेश्वर है। रिया के वकील ने कहा है कि यह पूरा घटनाक्रम ठीक वैसे ही हुआ जैसे बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से सीबीआई जांच की सिफारिश की और सरकार ने तत्काल उसे मान भी लिया।

11 साल पहले भी सियासत के लिए लिया था VRS

इससे पहले गुप्तेश्वर पांडे ने 2009 में भी वीआरएस लिया था। उस वक्त भी चर्चा थी कि वह बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन बक्सर से बीजेपी ने अपने तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को दोबारा टिकट दे दिया, जिससे पांडेय का मंसूबा पूरा नहीं हो पाया। सियासी अरमानों पर पानी फिरने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने दोबारा नौकरी में वापसी कर ली थी।