भोपाल। सिंधिया के बीजेपी में चले जाने के बाद उनके करीबी माने जाने वाले सचिन पायलट के साथ उनके राजनीतिक तार भले अलग हो गए हों लेकिन सिंधिया अभी भी अपने पुराने साथी को भूले नहीं हैं। आज राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का जन्मदिन है। ऐसे में उनके पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी है। सचिन पायलट आज 43 वर्ष के हो गए हैं।

सचिन पायलट के जन्मदिन के अवसर पर उनके समर्थक और चाहने वाले तरह तरह से उनके जन्मदिन को मना रहे हैं। कोई गरीबों को खाना खिला रहा है, तो कोई जलसे का आयोजन कर रहा है। कुछ लोग रक्तदान कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का ट्वीट चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। सिंधिया के बधाई सन्देश के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि सिंधिया की ओर से यह महज औपचारिकता पेश की गई है। लेकिन कई लोग इसके राजनीतिक अर्थ भी ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। सिंधिया के ट्वीट के बाद से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि पायलट को बधाई सन्देश देकर सिंधिया ने भविष्य की संभावनाओं की ओर इशारा किया है। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया जब तक कांग्रेस में थे, तब तक सिंधिया और पायलट की जोड़ी को कांग्रेस की सबसे बड़ी युवा ताकत की तरह देखा जाता था। मध्यप्रदेश और राजस्थान में जब विधानसभा के चुनाव हुए तब भी सिंधिया और पायलट अपने अपने राज्य में कांग्रेस का चेहरा बन कर उभरे। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की युवा ब्रिगेड को संयोजित करना इन्हीं दोनों नेताओं के जिम्मे हुआ करता था। 

लेकिन न तो अब सिंधिया कांग्रेस में हैं। न ही पायलट अब वो रह गए हैं, जो पहले कांग्रेस में हुआ करते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब कांग्रेस के खिलाफ बगावती रुख अख्तियार किया तब पायलट के भी कांग्रेस छोड़ने के कयास लगाए जाने लगे। हालांकि पायलट ने तब कोई बगावती रुख अख्तियार नहीं किया, लेकिन जुलाई आते आते पायलट ने आखिरकार कांग्रेस और मुख्यमंंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राजस्थान की सियासत पर पूरे एक महीने तक हाई वोल्टेज ड्रामा चला। पायलट के हाथों से दोनों पद भी चले गए लेकिन पायलट ने आखिरकार कांग्रेस के सामने हथियार डाल दिए। वजह बताई गई, पायलट को सिंधिया की तरह विपक्ष का सहयोग नहीं मिला। 

पायलट जब बगावत कर रहे थे तब यह खबरें भी आई थीं कि वे सिंधिया से मिलने भी गए थे। हालांकि इन खबरों की कोई पुष्टि नहीं हो पाई। लेकिन पायलट और सिंधिया के बगावत का पैटर्न एक था। बागी विधायकों को होटल में ठहराने से लेकर सभी ट्वीट तक, सब एक जैसे थे।जो इस बात की गवाही दे रहा था कि भले ही सियासी डोर अलग हो गई हो लेकिन व्यक्तिगत संबंध आज भी पायलट और सिंधिया के बीच वैसे ही हैं, जो सिंधिया के कांग्रेस में रहने के दौरान थे।