नई दिल्ली। सभी सरकारी विभागों और पब्लिक सेक्टर की कंपनियों के दफ्तरों में अब BSNL या MTNL की सेवाएं लेना अनिवार्य होगा। यह दिशानिर्देश केंद्र सरकार के दूरसंचार मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया है।इस संदर्भ में जारी मेमोरेंडम के मुताबिक सभी सरकारी विभागों, मंत्रालयों और सभी पीएसयू में BSNL और MTNL की सेवाएं ही इस्तेमाल की जा सकेंगी। 

मंत्रालय की ओर से जारी मेमोरेंडम में सभी सरकारी विभागों, मंत्रालयों के साथ साथ केंद्र के अधीन आने वाले सभी सरकारी संस्थानों को इस बारे में अपनी तरफ से आदेश जारी करने को भी कहा गया है। मेमोरेंडम के साथ भेजी गई टिप्पणी में बताया गया है कि ये फैसला कैबिनेट की मंजूरी के बाद लिया गया है।

बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस कदम से आर्थिक संकट से जूझ रही दोनों सरकारी दूरसंचार कंपनियों की हालत सुधारने में मदद मिलेगी। लेकिन दोनों कंपनियों की मौजूदा हालत को देखते हुए यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या वाकई इस कदम से दोनों कंपनियों का संकट दूर हो जाएगा? अगर आम उपभोक्ता दोनों कंपनियों की सेवाओं से इसी तरह दूर होते जाएंगे जैसे पिछले कुछ बरसों में हुए हैं, तो क्या सिर्फ सरकारी दफ्तरों के भरोसे इतनी बड़ी कंपनियां मजबूती से कारोबार कर पाएंगी?

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इस समय दोनों ही कंपनियां घाटे में चल रही हैं 
दोनों ही सरकारी टेलिकॉम कंपनियां फिलहाल घाटे में चल रही हैं। वित्त वर्ष 2019-20 में बीएसएनएल को 15,550 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है, जबकि एमटीएनएल का घाटा करीब 369 करोड़ रुपये का है। दोनों कंपनियों के ग्राहक भी लगातार कम होते जा रहे हैं। एक आंकड़े के मुताबिक़ 2008 में बीएसएनएल के पास लगभग 2.8 करोड़ सब्सक्राइबर थे, जो इस वर्ष जुलाई तक घटकर 80 लाख हो गए हैं। इसी दौरान एमटीएनएल के उपभोक्ता 35 लाख से घटकर 30 लाख हो गए हैं।