BSNL कर्मचारियों ने किया डीए फ्रीज करने का विरोध

संगठनों का कहना है कि डीए फ्रीज करने से कर्मचारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

Publish: Apr 27, 2020, 01:41 AM IST

बीएसएनएल के वर्तमान और रिटायर्ड कर्मचारियों ने केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को फ्रीज करने के फैसले का विरोध किया है. कोरोना वायरस से लड़ाई का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2020 से 1 जुलाई 2021 तक की अवधि के लिए केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते की तीन किस्तें फ्रीज कर दी हैं. 

ऑल इंडिया बीएसएनएल-डॉट पेंशनर एसोसिएसन नाम का संगठन टेलीकॉम और  बीएसएनल से रिटायर हुए लगभग एक लाख सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है. संगठन ने कहा कि हमारे सदस्य पहले ही पीएम केयर्स और चीफ मिनिस्टर रिलीफ फंड में अपना सहयोग दे चुके हैं. ऐसे में अब महंगाई भत्ते को फ्रीज कर देने से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ेगा. 

वहीं एक दूसरे संगठन बीएसएनएल कर्मचारी संगठन ने केंद्र सरकार के इस कदम को केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों की रोजी-रोटी पर सीधा हमला बताया है. 

Click: केंद्रीय कर्मचारियों के डीए की तीन किस्तें फ्रीज

दोनों ही संगठनों ने एक ओर महंगाई भत्ते को फ्रीज करने पर सवाल खड़े किए हैं, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार पर टैक्स छूट, लोन माफी इत्यादि कदम उठाकर कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है. 

सबसे ज्यादा चिंता उन कर्मचारियों की है जिनकी आय कम है. 

बीएसएनएल कर्मचारी संगठन ने कहा, "सरकार ने कॉरपोरेट का लगभग 5.5 लाख करोड़ का कर्ज माफ किया है. सरकार ने ऐसा करके कॉरपोरेट्स को लोगों का पैसा लूटने दिया है. हम यह कहना चाहते हैं कि महंगाई भत्ते को फ्रीज करना न्यायपूर्ण नहीं है."

वहीं ऑल इंडिया बीएसएनएल-डॉट पेंशनर एसोसिएसन ने कहा कि बीएसएनल पिछले दो साल से फंड की कमी का हवाला देकर स्वास्थ्य भत्ता और दूसरी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए मिलने वाली रकम को काट चुका है. पेंशनर उन्हें मिलने वाली छोटी सी रकम पर पूरी तरह से निर्भर हैं. महंगाई भत्ते में कटौती से उन्हें काफी परेशानी होगी.

इससे पहले देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले की आलोचना की. उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को मुश्किल में डालना गैरजरूरी है. 

ऐसा बताया जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते की तीन किस्तें फ्रीज कर देने से केंद्र सरकार को कुल 37,530 करोड़ रुपये का फायदा होगा. केंद्र सरकार के इस फैसले से 84 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 65 लाख पेंशनर प्रभावित होंगे.