नई दिल्ली। दिल्ली स्थित एम्‍स में अब एक डॉक्टर अनुराग ने आत्महत्या कर ली है। एम्‍स के हॉस्टल की 10 वीं मंज़िल से छलांग लगा ली। बताया जा रहा है कि डॉक्टर डिप्रेशन का मरीज़ थे।

साइकेट्रिक विभाग में कार्यरत थे अनुराग

एम्‍स के 18 वें हॉस्टल से कूदकर अपनी जान देने वाले अनुराग अस्पताल के साइकेट्रिक विभाग में जूनियर डॉक्टर के पद पद पर कार्यरत थे। डिप्रेशन के मरीज़ 25 वर्षीय अनुराग अपनी मां के साथ ही रह रहे थे। अनुराग का फोन हॉस्टल की छत से ही बरामद हुआ है। हालांकि प्रारंभिक जानकारी में अनुराग के आत्महत्या करने की वजह के बारे में तक कोई जानकारी नहीं मिली है।

एक ही हफ्ते में आत्महत्या का दूसरा मामला

पिछले एक हफ्ते के भीतर एम्स में आत्महत्या का यह दूसरा मामला सामने आया है। इससे पहले 6 जुलाई को एम्स के ट्रॉमा सेंटर में पत्रकार तरुण सिसोदिया ने कथित तौर पर चौथी मंज़िल से कूदकर आत्महत्या कर ली थी। तरुण सिसोदिया कोरोना संक्रमित थे। एम्स के कोरोना वॉर्ड में उनका इलाज चल रहा था। इसके बाद उन्हें आईसीयू में एडमिट कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

कोरोना काल में बढ़ रहा तनाव, अवसाद, यूं रखें अपना ख्‍याल

हमसमवेत से बातचीत में भोपाल के मनोचिकित्‍सक डॉ. सत्‍यकांत त्रिवेदी ने बताया कि कोरोना काल में एंग्‍जायटी-डिप्रेशन बढ़ रहा है। इसके शुरुआती दौर में ही भोपाल जैसे शहर में एंग्‍जायटी-डिप्रेशन के केस 10 से 30 प्रतिशत बढ़ गए थे। नौकरी और काम को लेकर बहुत सारी आशंकाएं बढ़ गई हैं। कई लोग एकदम सीमा पर थे वे अब डिप्रेशन का शिकार हो गए हैं। संकट का यह चरित्र और व्‍यक्तित्‍व की परीक्षा है। ओसीडी यानी obsesive compulsive disorder एक बीमारी है जिसमें व्‍यक्ति बार-बार हाथ धोता है। हाथ धोने के निर्देश के कारण भी यह बीमारी बढ़ रही है। डिप्रेशन से बचाव के लिए फिलहाल मास अवेयरनेस यानी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। बाद में हमें जगह-जगह काउंसिलिंग की व्‍यवस्‍था करनी होंगीं। हैरानी की बात यह है कि समाज में इन रोगों के प्रति संवेदनशीलता का अभाव व कलंक का भाव ज्यादा है। सही समय पर पहचान लिया जाए और उपयुक्‍त उपचार हो जाए तो ऐसी बीमारियां दूर हो सकती हैं। संक्रामक रोगों की तरह इस तरह के रोगों के लिए भी बड़े स्‍तर पर जागरूकता शिविर लगने चाहिए। स्‍कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को शामिल करना चाहिए।