नई दिल्ली। राजधानी के अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत की वजह से सरोज अस्पताल और मैक्स अस्पताल ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा दिया। दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्पतालों में हो रही ऑक्सीजन की किल्लत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए। हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए अलग से कॉरिडोर बनाना चाहिए। 

दरअसल रोहिणी स्थित सरोज अस्पताल ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सरोज अस्पताल का कहना था कि अस्पताल में करीब 172 मरीजों में से 64 मरीजों को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। जस्टिस संघी और जस्टिस रेखा पल्ली की दो सदस्यीय बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र और दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने के लिए कहा। 

हालांकि सुनवाई के दौरान ही दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार में ठन गई। दोनों ही सरकारों की तरफ से वकालत कर रहे वकीलों ने आरोप प्रत्यारोप शुरू कर दिया। दिल्ली सरकार की वकालत कर रहे अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कोर्ट को बताया कि भले ही केंद्र सरकार ने हमें (दिल्ली सरकार) देश के विभिन्न हिस्सों से ऑक्सीजन मुहैया कराने का वादा किया है, लेकिन हकीकत में हमें अब तक केवल 80 से 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ही आपूर्ति हुई है। 

इस पर केंद्र सरकार की वकालत कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि दिल्ली सरकार केवल सोशल मीडिया पर पैनिक की स्थिति निर्मित करने की कोशिश कर रही है। इसके जवाब में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि हमने हरियाणा के पानीपत में स्थित एयलिक्विड प्लांट में भी ऑक्सीजन टैंकर को लेकर बात की थी। लेकिन हम तक ऑक्सीजन टैंकर पहुंचने नहीं दिए गए। केवल उन्हीं ऑक्सीजन टैंकर को पास किया गया जो हरियाणा में मुहैया कराए जाने थे। दिल्ली सरकार ने कहा कि अगर ऑक्सीजन टैंकर को एयरलिफ्ट किया जा सके तो हमें देश के किसी भी कोने से ऑक्सीजन लेने में कोई समस्या नहीं है। इस पर जस्टिस संघी ने कहा कि ऑक्सीजन टैंकर को एयरलिफ्ट किया जाना संभव नहीं है। हां, खाली ऑक्सीजन के टैंकर को ज़रूर एयरलिफ्ट किया जा सकता है।