नई दिल्ली। मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित कोविड के दौरान अनाथ हुए बच्चों की स्टडी ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। लैंसेट में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक कोरोना महामारी की वजह से भारत के करीब 19 लाख बच्चे अनाथ हो गए। इन बच्चों ने अपने माता पिता में से किसी एक को या देखभाल करने वाले व्यक्ति को खो दिया। लैंसेट की इस स्टडी ने कोरोना महामारी के दौरान भारत में हुई मौतों के सरकारी आंकड़े पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। 

लैंसेट की इस स्टडी में दुनिया भर के बीस देशों को शामिल किया गया। इन 20 देशों में कुल 52 लाख बच्चे कोरोना के वक्त अनाथ हो गए। जर्मनी में सबसे कम 2,400 बच्चे अनाथ हुए। जबकि कोरोना महामारी का सबसे अधिक दंश भारत के बच्चों को झेलना पड़ा। भारत में सबसे अधिक 19 लाख बच्चे अनाथ हुए।

हालांकि जनसंख्या के अनुपात के कारण अनाथ होने वाले बच्चों की औसत पेरू और और दक्षिण अफ्रीका में अधिक रही। पेरू में हजार में से आठ जबकि दक्षिण अफ्रीका में हजार में से औसतन सात बच्चे अनाथ हुए। अनाथ होने वाले हर तीन बच्चों में से दो बच्चों की उम्र 10 से 17 वर्ष के बीच में है। जबकि अनाथ होने वाले हर चार बच्चों में से तीन बच्चों ने अपने पिता को खोया है।

स्टडी के मुताबिक महामारी के बीस महीनों की अवधि में मई 2021 से अक्टूबर 2021 तक अनाथ होने वाले बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई।यह स्टडी दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने की है। रिसर्च में जुटाए गए आंकड़े 20 महीने की अवधि के हैं, जिसकी शुरुआत मार्च 2020 से हुई। 

भारत सरकार के आंकड़ों से स्टडी के आंकड़े नहीं खाते मेल 

लैंसेट में प्रकाशित स्टडी के आंकड़े भारत सरकार के आंकड़ों से मेल नहीं खाते। संसद में दिए गए जवाब के मुताबिक भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रलाय के पास 5 फरवरी 2022 तक केवल 3,890 अनाथ हुए बच्चों का रिकॉर्ड उपलब्ध है। एक अंग्रेजी वेब पोर्टल ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में मौजूद अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अपने माता पिता दोनों को खोने वाले कुल 577 बच्चों का रिकॉर्ड मंत्रालय के पास उपलब्ध है। जबकि एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 से जून 2021 की अवधि के दौरान 3,661 बच्चे अनाथ हुए।