नई दिल्ली। भारत सरकार आज 11 वां राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रही है। इस मर्तबा मतदाता दिवस की थीम ' सभी मतदाता सुरक्षित, सशक्त, सतर्क और जागरूक बनें ' रखी गई है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर साल 25 जनवरी को मनाया जाता है। 

कांग्रेस के कार्यकाल में हुई थी शुरुआत 

राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाने की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने की थी। यह पहली बार 2011 में मनाया गया था। उस समय प्रतिभा पाटिल देश की राष्ट्रपति हुआ करती थीं। 25 जनवरी 2011 को चुनाव आयोग की स्थापना के 61 वर्ष पूर्ण हुए थे। लिहाज़ा इसके बाद से ही हर वर्ष 25 जनवरी को मतदाता दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत सरकार की ओर से मतदाताओं को जागरूक करने का अभियान चलाया जाता है। सरकार का उद्देश्य विशेषकर उन मतदाताओं को जागरूक करने का होता है, जो या तो फर्स्ट टाइम वोटर हैं या फिर जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है। 

चुनाव आयोग की क्या भूमिका होती है

चुनाव आयोग की स्थापना पहले गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले यानी 25 जनवरी 1950 को हुई थी। संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को विशेषाधिकार प्राप्त हैं। चुनाव आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है और दो अन्य आयुक्त होते हैं। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। देश भर में होने वाले चुनाव को संपन्न कराने की ज़िम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा हैं। वे भारत के 23वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं। भारत के पहले निर्वाचन आयुक्त सुकुमार सेन थे। सभी मुख्य चुनाव आयुक्तों में टीएन शेषन सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहे हैं। शेषन को भारत में निष्पक्ष चुनाव के लिए बेहद सख्त और महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए जाना जाता है। 

भारत में वोट देने का अधिकार किसे है 

भारत में हर वो व्यक्ति जो इस देश का नागरिक है और जिसकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है, चुनाव में वोट डाल सकता है। जिन NRI नागरिकों के पास भारत का पासपोर्ट है उन्हें भी वोट देने का अधिकार प्राप्त है। पहले वोट देने की न्यूनतम उम्र 21 साल हुआ करती थी। स्वर्गीय राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए मतदान की न्यूनतम उम्र घटाकर 18 साल की गई। 1988 में संविधान के 61 वें संशोधन के आधार पर 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को मतदान का अधिकार दिया गया है।