नई दिल्ली: मणिपुर की सरकार ने म्यांमार से आने वाले लोगों के एंट्री पर बैन लगाने का आदेश दिया है। इस आदेश को लेकर म्यांमार की सीमा से सटे राज्य के 5 ज़िलों के कमिश्नर को चिट्ठी लिखी गई है। सरकार ने कहा है कि सिर्फ मानवीय आधार पर और बेहद गंभीर चोट के हालात में मेडिकल सहायता दी जा सकती है। सरकार को आशंका है कि वहां के नागरिक भारत में शरणार्थी बनकर घुसने का प्रयास कर सकते हैं।

मणिपुर सरकार ने अपने सीमावर्ती जिलों को निर्देश दिया है कि वह उन्हें देश में न घुसने दे। शरणार्थियों के लिए न राहत शिविर बनाएं न खाने-पीने के इंतजाम करें। वे शरण मांगने आएं तो उन्हें हाथ जोड़कर वापस भेजें। यह आदेश चंदेल, टेंगनोउपल, केमजोंग, उखरुल और चूड़ाचंदपुर जिलों के जिला अध‍िकारियों को जारी किया गया है। भारत सरकार को डर है कि बड़ी संख्या में शरणार्थी यहां प्रवेश करेंगे क्योंकि वहां के सैन्य शासकों ने यंगून सेमत देश के 9 क्षेत्रों में प्रदर्शनकारियों पर शुक्रवार को गोलीबारी शुरू कर दी इसमे 100 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबर है।

मणिपुर के गृह सचिव एच ज्ञान प्रकाश की तरफ से लिखी गई इस चिट्ठी में कहा गया है कि सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार के नागरिक भारत में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। आदेश में आगे कहा गया है, 'बांग्लादेश से आए शरणार्थ‍ियों की वजह से दशकों तक हुए टकराव को ध्यान में रखते हुए आधार पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाना चाहिए और आधार पंजीकरण किट को सुरक्ष‍ित कस्टडी में रखा जाना चाहिए।'

मणिपुर सरकार के इस आदेश की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही है। कई लोग इस आदेश को अमानवीय और क्रूर बता रहे हैं जो कि देश के आतिथ्य की लंबी परंपरा के ख‍िलाफ है। अतिथि देवो भवः का हवाला देते हुए कई लोग यह मांग कर रहे हैं कि मुश्किल में पड़े पड़ोसी देश के नागरिकों को मदद करनी चाहिए।

उधर मिजोरम के अधिकारियों ने बताया कि म्यांमार में फरवरी में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से वहां से राज्य में आए शरणार्थियों की संख्या 1,000 पार कर गयी है। अब तक कम से कम 100 लोगों को उनके देश वापस भेजा दिया गया है, लेकिन वे छुपकर वापस भारत में की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोग सीमावर्ती गांवों में रह रहे हैं और स्थानीय एनजीओ उनकी मदद कर रहे हैं, कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं।

बता दें कि म्यांमार से लगी भारत की करीब 1643 किलोमीटर लंबी सीमा है। फरवरी में हुए तख्तापलट के बाद से वहां सैन्य शासन व जनता के बीच लगातार टकराव चल रहा है। म्यांमार के लोग सैन्य तानाशाही का विरोध करते हुए लोकतंत्र वापसी की मांग कर रहे हैं। इस दौरान अबतक 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। सेना के दमनकारी रवैये के कारण बड़े पैमाने पर लोगों के देश छोड़ने व शरणार्थी बन दूसरे देशों में घुसने की आशंका है।