नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75 वें सत्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने महासभा के सभी सदस्य देशों को भारत के 130 करोड़ लोगों की तरफ से बधाई देते हुए कहा कि मैं सभी भारतीयों की भावनाओं को आज साझा करने आया हूं। मोदी ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र से मांग रखी कि भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसीजन मेकिंग में शामिल किया जाए।



तकरीबन 22 मिनट के अपने संबोधन में पीएम ने कहा, 'आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है? पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की मांग है।'





मोदी ने कहा कि, 'भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र में बदलावों को लेकर जो प्रक्रिया चल रही है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रक्रिया कभी तार्किक अंत तक पहुंच पाएगी। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसीजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा? एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं, अनेकों विचारधाराएं हैं। जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?'



और पढ़ें: Narendra Modi चार सालों में पीएम मोदी की विदेश यात्राओं पर 500 करोड़ से ज्यादा का खर्च



मानवता को संकट से बाहर निकालेगा भारत



मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत पूरे विश्व को इस कोरोना संकट से बाहर निकलने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, 'महामारी के इस मुश्किल घड़ी में भारत ने विश्व के 150 से ज्यादा देशों को जरूरी दवाइयां भेजी है। विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्सीन उत्पादन एवं डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी।'