नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना के दोषी पाए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमें फिर से यह याद करना होगा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानी किस तरह का देश बनाने के लिए लड़े।



स्वतंत्रता दिवस पर ट्वीट कर उन्होंने कहा कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने एक ऐसे भेदभावहीन और बहुधार्मिक-सांस्कृतिक समाज की कल्पना की जहां जनता असली शासक हो और मंत्रियों, न्यायाधीशों समेत दूसरे प्रशासनिक अधिकारी जनता के सेवक। अगर वे गलती करें तो हम उन्हें सुधार सकें। उन्होंने सवाल किया हमें कि इस रास्ते पर हम कितना आगे बढ़ पाए हैं?





दूसरी तरफ वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार शोभा डे ने भी ट्वीट कर पूछा, “स्वतंत्रता दिवस पर यह पूछा जाना चाहिए कि अदालत की अवमानना क्या है?”





ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण द्वारा किए गए ट्वीट को लेकर उन्हें दोषी पाया है। इस मामले को कोर्ट ने स्वत: संज्ञान में लिया था। अवमानना के दोष में भूषण को 20 अगस्त को सजा सुनाई जानी है। प्रशांत भूषण को दोषी पाते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी की, “निर्भय और निष्पक्ष न्याय की अदालतें एक स्वस्थ लोकतंत्र की रक्षक हैं और दुर्भावनापूर्ण हमलों के जरिये इनके प्रति विश्वास कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। प्रशांत भूषण के ट्वीट को निष्पक्ष आलोचना नहीं माना जा सकता है।”



दूसरी तरफ भूषण को अवमानना का दोषी ठहराए जाने की आलोचना हो रही है। आलोचक इसे भारतीय लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने इस फैसले पर चिंता जताते हुए कहा, “प्रशांत भूषण के ट्वीट को लेकर कोई सहमत हो या नहीं हो, उन्हें दोषी ठहराने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला चिंताजनक है। यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा संवैधानिक प्राधिकार के रूप में निभाई गई भूमिका की वास्तविक आलोचना को अवमानना के दायरे में ला देता है।’’