नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सोशल मीडिया के कंटेंट से जुड़े दो मामलों पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर डाले जाने वाले एडल्ट कंटेंट के लिए किसी न किसी को जिम्मेदार लेनी ही होगी। केंद्र सरकार इसके लिए 4 हफ्ते में रेगुलेशन बनाए और कानून SC/ST एक्ट की तरह सख्त हों।
कोर्ट ने कहा कि गंदा कंटेंट जब तक रोका जाता है तो उससे पहले लाखों लोग देख लेते हैं। केंद्र सरकार इस बारे में नियम बनाए। यह मामला अश्लीलता से नहीं बल्कि गलत इस्तेमाल से जुड़ा है। बोलने की आजादी अधिकार है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल तेजी से हो रा है। कई लोग ऐसा बोलकर पैसी भी कमा रहे हैं। मैं कुछ भी अपलोड करूं, मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। कंटेंट को एंटी-नेशनल माना जाता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? एक बार जब गंदा मटीरियल अपलोड हो जाता है, जब लाखों व्यूअर्स तक वायरल हो चुका होता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसे कंटेंट पर चेतावनी होनी चाहिए, ताकि कोई इसे देखकर परेशान न हो जाए। चेतावनी 18+ वालों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए हो जो उसे देखेगा। वॉर्निंग के साथ आधार कार्ड वगैरह मांगा जाए, ताकि उम्र वेरिफाई हो सके और फिर प्रोग्राम शुरू हो। 'इंडियाज गॉट लेटेंट' स्टैंड अप कॉमेडियन समय रैना के शो में बोल्ड कॉमेडी कंटेंट होता है। जिस शो पर विवाद हुआ। इस शो में पेरेंट्स और महिलाओं को लेकर ऐसी गंदी बातें कही गईं, जिनका जिक्र करना भी शर्मनाक है।
इस मामले के बाद भी सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेफॉर्म पर बहुत ज्यादा आपत्तिजनक कंटेंट मौजूद है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है। वहीं दिव्यांगों से जुड़े दूसरे मामले में इंडियाज गॉट लेटेंट' के होस्ट और यूट्यूबर समय रैना को आदेश दिया कि वे अपने शो में दिव्यांग लोगों की सफलता की कहानियां दिखाएं, ताकि उनकी मदद के लिए फंड इकठ्ठा किया जा सके।