श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि "हम बीजेपी विरोधी हैं ना कि देश विरोधी। हमें धर्म के नाम पर आपस में बांटने के सारे प्रयास नाकाम हो जाएंगे। यह कोई धार्मिक संघर्ष नहीं है।" फारूक अब्दुल्ला ने ये बात अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए बनाए गए कई पार्टियों के साझा मोर्चे पर बीजेपी की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों के जवाब में कही। दरअसल, जम्मू कश्मीर की छह प्रमुख पार्टियों ने हाल ही में मिलकर अनुच्छेद 370 और 35(A) की बहाली के लिए एक मोर्चा बनाया है।

इस मोर्चे को पीपल्स अलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन (PAGD) का नाम दिया गया है। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, सीपीएम, पीपल्स कॉन्फ्रेंस और एएनसी शामिल हैं। फारूक अब्दुल्ला को इस अलायंस का अध्यक्ष चुना गया है। महबूबा मुफ्ती इस अलायंस की उपाध्यक्ष हैं। जबकि सीपीएम नेता मोहम्मद यूसुफ तरिगामी को इसका संयोजक और पीपल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन को प्रवक्ता नियुक्त किया गया है। इस अलायंस ने अब दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिए गए जम्मू-कश्मीर के झंडे को अपना चिह्न बनाया है। छह दलों के इस मोर्चे में शामिल सभी दलों के नेताओं ने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के घर जाकर उनसे मुलाकात की। महबूबा मुफ्ती को हाल ही में रिहा किया गया है। पिछले एक साल से भी ज्यादा वक्त तक उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत कैद करके रखा गया था।  
 

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बीजेपी के नेता पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के एक हाल में दिए बयान पर तीखे हमले कर रहे हैं। महबूबा ने शुक्रवार 23 अक्टूबर को कहा था कि 5 अगस्त, 2019 को संविधान में छेड़छाड़ करके जम्मू-कश्मीर की स्थिति में जो बदलाव किए गए थे, उन्हें वापस लिए जाने तक वे चुनाव नहीं लड़ेंगी। उन्होंने कहा था कि जब तक भारतीय संविधान के तहत राज्य को दिया गया जम्मू कश्मीर का झंडा फिर से बहाल नहीं हो जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने में कोई रुचि नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर का झंडा ही हमें देश के झंडे से जोड़ने वाली कड़ी है। जब तक ये झंडा बहाल नहीं होगा हम कोई झंडा नहीं उठाएंगे। बीजेपी नेता इसी बयान को संदर्भ से काटकर महबूबा मुफ्ती को देशद्रोही घोषित करने में लगे हैं। जबकि ये वही महबूबा हैं, जिनके साथ मिलकर बीजेपी जम्मू-कश्मीर राज्य की अंतिम सरकार में सत्ता का स्वाद ले रही थी।