नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी यानी मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली तलब किया गया है। केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को दिल्ली रिपोर्ट करने को कहा गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक बंदोपाध्याय शुक्रवार को पीएम के यास तूफान की समीक्षा बैठक में सीएम ममता बनर्जी के साथ वो करीब आधे घंटे लेट पहुंचे थे। इसी बात को लेकर बौखलाई केंद्र सरकार ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्हें दिल्ली रिपोर्ट करने को कहा है।

केंद्रीय कार्मिक विभाग ने इस संबंध में बंदोपाध्याय को एक नोटिस भेजा है। इसमें लिखा गया है कि नियुक्ति मामलों की कैबिनेट समिति ने 1987 कैडर के आईएएस अधिकारी अलपन बंदोपाध्याय को तत्काल प्रभाव से केंद्र सरकार की सेवा में भेजने का फैसला किया है। IAS रूल्स 1954 के नियम 6(1) के तहत यह फैसला लिया गया है। बंदोपाध्याय को 31 मई 2021 को दिल्ली नार्थ ब्लॉक में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में सीधे रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है। 

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कार्मिक मंत्रालय के आदेश के मुताबिक अलपन बंदोपाध्याय को अब केंद्र में नयी जिम्मेदारी दी जाएगी। उन्हें 31 मई की सुबह 10 बजे से पहले दिल्ली रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है। केंद्र ने बंगाल सरकार से भी अनुरोध किया है कि बंदोपाध्याय को जल्द से जल्द रिलीव किया जाए। केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद बंगाल की राजनीति में बवाल मच गया है। टीएमसी ने इस मामले पर पूछा है कि मोदी-शाह और कितना नीचे गिरेंगे। टीएमसी के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर राय ने कहा, 'आजादी के बाद से अबतक इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि केंद्र सरकार द्वारा किसी राज्य के मुख्य सचिव की जबरन प्रतिनियुक्ति की गई हो। मोदी-शाह की बीजेपी कितना नीचे गिरेगी? यह सब सिर्फ इसलिए कि बंगाल के लोगों ने इन्हें सबक सिखाते हुए ममता बनर्जी को भारी जनादेश के साथ सीएम चुना।'

दरअसल यह पूरा विवाद शुक्रवार को पीएम मोदी के बंगाल दौरे को लेकर उत्पन्न हुआ है। मोदी के बंगाल प्रवास के दौरान चक्रवात यास को लेकर पीएम की बैठक में सीएम ममता बनर्जी कथित रूप से आधे घंटे लेट पहुंचीं थीं। मुख्य सचिव भी ममता के साथ ही बैठक में गए थे। इस दौरान ममता और मोदी की महज पंद्रह मिनट मुलाकात हुई। ममता ने पीएम को चक्रवात से प्रभवित इलाकों में हुए नुकसान के रिपोर्ट दिए और 20 हजार करोड़ रुपए के विशेष पैकेज की मांग की। इसके बाद सीएम ममता यह कहकर चलीं गयीं कि उन्हें चक्रवात प्रभावित इलाकों का सर्वेक्षण करने जाना है।

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इस पूरे घटनाक्रम को लेकर बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने ममता बनर्जी को निशाने पर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ममता बनर्जी के इस व्यवहार ने संवैधानिक मर्यादाओं को तोड़ा है, साथ ही संघीय व्यवस्था की मूल भावना को भी आहत किया है। बीजेपी चीफ जेपी नड्डा ने इस पूरे घटनाक्रम को पीड़ादायक बताया है। इसी बीच सोशल मीडिया पर साल 2013 की एक खबर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें बताया गया है कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वह भी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा आयोजित एनआईसी के बैठक से इसी प्रकार नदारद थे।