अकसर कह दिया जाता है कि बच्चों का रिजल्ट बिगड़ा तो टीचर जिम्मेदार होंगे। कभी चेतावनी तो कभी धमक के लिए कह दिए जाने वाले इस वाक्य को दमोह कलेक्टर ने गंभीरता से ले लिया है। दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने आदेश किया है कि जिले के जिन स्कूलों का रिजल्ट 30 फीसदी से कम रहा है, उन स्कूलों के शिक्षकों की परीक्षा ली जाएगी। कलेक्टर का आदेश मिलते ही जिला शिक्षा अधिकारी ने ऐसे शिक्षकों की जानकारी जुटानी शुरू कर दी।
शुरुआती आकलन में जिले में ऐसे शिक्षक 1 हजार से अधिक पाए गए जिनके विषय का रिजल्ट 30 प्रतिशत से कम आया है। कलेक्टर द्वारा तय तारीख 8 जून को यह परीक्षा होना है। ऐसे सभी शिक्षकों को उनकी कक्षा की पुस्तक के साथ आना होगा। उसी के आधार पर उनसे प्रश्न किए जाएंगे। 50 प्रतिशत या उससे अधिक अंक नहीं लाने पर शिक्षक के विरूद्ध कार्रवाई होगी।
लेकिन कलेक्टर के इस आदेश के खिलाफ हाई और हायर सेकेंडरी के शिक्षक तथा उनका संगठन विरोध में उतर आया है। शिक्षक कर्मचारी संघ ने इस आदेश का विरोध करते हुए कहा है कि कलेक्टर को अधिकार ही नहीं है कि वह शिक्षकों की परीक्षा ले। शिक्षकों का तर्क है कि स्कूल शिक्षा विभाग ये तय करता है कि कब कार्रवाई होनी चाहिए और कब प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। जिले का कलेक्टर यह फैसला कैसे कर सकता है कि शिक्षक परीक्षा देंगे और नंबर कम आए तो उन पर कार्रवाई होगी। शिक्षक संघों ने मांग की है कि कलेक्टर के इस आदेश को तुरंत वापस लिया जाए और शिक्षकों को प्रोत्साहित किया जाए। फिलहाल तो रविवार को परीक्षा होना तय है।
आपसी विवाद में नप गए पांच आईपीएस
मध्य प्रदेश में बीते सप्ताह पांच आईपीएस का तबादला किया गया। मध्य प्रदेश में संभवतः यह पहला मामला होगा जब एक साथ पांच आईपीएस को आपसी विवाद के कारण हटाया गया है। इनमें से 2 एसपी परिवारिक झगड़े के कारण हटाए गए। खासबात यह है कि इन अफसरों के तबादले की जानकारी खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एक्स पर पोस्ट कर दी। सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि कटनी के पुलिस अधीक्षक और दतिया के पुलिस अधीक्षक तथा आईजी, डीआईजी चंबल रेंज द्वारा ऐसा व्यवहार किया गया जो लोकसेवा में खेदजनक है। इस कारण इन्हें तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिये हैं।
कटनी के एसपी अभिजीत कुमार रंजन पिछले कुछ समय से चर्चा में हैं जब तहसीलदार शैलेंद्र बिहारी शर्मा ने मुख्य सचिव और डीजीपी को पत्र लिख कर बताया था कि उनकी पत्नी ख्याति मित्रा कटनी में सीएसपी पदस्थ हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि एसपी अभिजीत रंजन उनके परिवार को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। कटनी सीएसपी ख्याति मिश्रा के तबादले के बाद शनिवार को उनके पिता और उनके तहसीलदार पति के परिजन उनके सिविल लाइन स्थित सरकारी आवास पर पहुंचे थे। यहां परिजनों की आपस में बातचीत चल रही थी, इसी बीच हंगामा खड़ा हो गया। सूचना पाकर पहुंची पुलिस ने दोनों पक्षों को पकड़ लिया और पुलिस वाहन में बैठाकर महिला थाने ले आई। आरोप है कि थाने में तहसीलदार शैलेन्द्र बिहारी शर्मा और उनके परिवार के साथ पुलिसकर्मियों ने मारपीट की। तहसीलदार शैलेन्द्र शर्मा ने आरोप लगाया है कि ये सब कुछ कटनी एसपी अभिजीत रंजन के कहने पर हुआ है।
दूसरी तरफ, बालाघाट के एसपी नागेंद्र सिंह को हटा कर 25 वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल भोपाल में सेनानी के पद पर भेज दिया गया है। बालाघाट में नक्सल विरोधी कार्रवाई के बाद भी एसपी को हटाने के निर्णय पर सभी को अचरज हुआ था। पता चला कि एसपी नागेंद्र सिंह को काम के प्रदर्शन के आधार पर नहीं बल्कि आईपीएस पत्नी की शिकायत के बाद हटाया गया।
जबकि तीन आईपीएस दतिया एयरपोर्ट के लोकार्पण के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में खामी पर आपसी झगड़ेक े बाद हटाए गए। 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली एयरपोर्ट का शुभारंभ किया। दतिया में आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ताओं और जनता एयरपोर्ट पहुंच गई थी। इसे आईजी चंबल रेंज सुशांत सक्सेना ने अव्यवस्था मानते हुए दतिया एसपी वीरेंद्र मिश्रा को सार्वजनिक रूप से फटकार लगा दी थी। इसका एसपी ने विरोध किया तो बहस बड़ गई। दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सड़क पर झगड़ रहे थे और जनता तमाशबीन थी। सुरक्षा व्यवस्था में डीआईजी कुमार सौरभ भी तैनात थे, लेकिन उन्होंने भी कोई दखल नहीं दिया।
यह विवाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पसंद नहीं आया और उन्होंने विवाद से घिरे पुलिस अफसरों को हटा दिया। इन तबादलों के लिए आईपीएस की नियमित तबादला सूची का इंतजार नहीं किया गया बल्कि तुरंत कार्रवाई कर सख्ती का संदेश देने की कोशिश की गई है।
एसपी से प्रेम और पत्रकारों से नाराज सरकार
भिंड एसपी पर आरोप है कि उन्होंने पत्रकारों को अपने कमरे में बुलवा कर पिटवाया। पत्रकरों का कहना है कि रेत खनन की खबरें प्रकाशित करने पर उन्हें प्रताड़ित किया गया। देश भर में सुर्खियां बना यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ आपत्तियों के साथ राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
भिंड जिले के दो पत्रकारों शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह का कहना है कि पत्रकारों ने चंबल नदी में अवैध रेत माफिया के व्यापार की खबरें प्रकाशित की थीं। रेत माफिया की खबरें प्रकाशित करने के कारण पुलिस उनसे नाराज थी। पुलिस ने दोनों को एसपी कार्यालय में बुलाकर पीटा और जान से मारने की धमकी दी। इस धमकी के बाद दोनों पत्रकार अपने घर छोड़कर दिल्ली आ गए और न्यायालयों का रुख किया। 28 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने अमरकांत सिंह चौहान को सुरक्षा प्रदान की और दिल्ली पुलिस को दो महीने की सुरक्षा देने का निर्देश दिया।
अब सवोच्च न्यायालय ने बुधवार को मध्य प्रदेश सरकार से दोनों पत्रकारों की याचिका पर जवाब मांगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह जरूर पूछा कि दोनों पत्रकारों को दिल्ली हाईकोर्ट की शरण क्यों लेनी पड़ी। इस मामले में सरकार से सुरक्षा मांगी जा रही है लेकिन एसपी को पार्टी नहीं बनाया गया है। मध्य प्रदेश में सहायता नहीं मिलने के कारण दिल्ली पहुंचे वहाईकोर्ट का दरवाजा खटकटाना पड़ा। पत्रकारों के संगठनो ने भी पत्रकारों के सरंक्षण की मांग की है। माना जा रहा है कि समय रहते बीच की राह निकाली जा सकती थी। मगर एमपी के प्रति सरकार का रवैया सख्त नहीं हुआ और अब सबने इसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है।
क्या सचमुच ईडी अफसरों पर भारी एक घोटाला?
इन दिनों यह सवाल चर्चा में है कि क्या परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों के अफसरों पर भारी पड़ रही है? इस कारण इस केस की जांच से आयकर विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर (इन्वेस्टिगेशन) आदेश राय का तबादला है। उनका ट्रांसफर मुंबई किया गया है। आदेश राय को अगस्त 2024 में भोपाल में पदस्थ किया गया था। भोपाल में किसी भी ज्वाइंट डायरेक्टर का ये सबसे कम कार्यकाल रहा है। इससे पहले 18 फरवरी को ईडी के डिप्टी डायरेक्टर तुषार श्रीवास्तव का भी केस के बीच में दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया था।
आदेश राय का तबादला इसलिए भी चौंकाने वाला है कि उन्होंने आठ माह में कई बड़ी जांचों का नेतृत्व किया। 19 दिसंबर को एक इनोवा कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद जब्त किए गए थे। यह कार मेंडोरी और बेरखेड़ी बाज्याफ्त गांव की सीमा पर एक खाली प्लॉट पर खड़ी थी। यह बड़ी कार्रवाई आदेश राय की अगुवाई में हुई थी। उन्होंने सौरभ और राजेश शर्मा से जुड़े मामलों में प्रदेशभर में 56 जगह छापे की कार्रवाई की थी। इसके अलावा सागर में पूर्व भाजपा विधायक हरवंश सिंह राठौर और पूर्व पार्षद राजेश केशरवानी के यहां भी छापे मारे गए थे।
प्रदेश के सबसे चर्चित परिवहन घोटाले में तीन-तीन जांच एजेंसियां काम कर रही है लेकिन किसी को पता नहीं चल पाया है कि जंगल में एक गाड़ी से बरामद किया गया 52 किलो सोना और करोड़ों रुपए कैश किसका है। लोकायुक्त तो 60 दिन बाद भी चालान पेश नहीं कर पाई थी जिसके चलते सौरभ शर्मा और उसके साथियों को भोपाल सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई थी। जांच की ऐसी रफ्तार और अधिकारियों के कम समय में तबादले संदेह को जन्म दे रहे हैं।