जलवायु परिवर्तन और पेड़ों की कटाई जैसी मानवीय गतिविधियों से जो उत्पन्न खतरों के बावजूद एक राहत वाली खबर आई है। 2020 में वैज्ञानिकों ने एशिया के मेकांग इलाके से 224 नई प्रजातियों की खोज की है। शोधार्थियों ने अपने कैमरे में इनकी तस्वीरें कैद की हैं। WWF की न्यू स्पीशीज डिस्कवरीज रिपोर्ट का दावा है कि म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम में पौधों और कशेरुकी जानवरों की नई प्रजातियां मिली हैं। इनमें Popa langur बंदर भी शामिल है, इस बंदर की प्रजाति का नाम मध्य म्यांमार के विलुप्त ज्वालामुखी माउंट पोपा के नाम से प्रेरित है।

यह इसी इलाके में पाया जाता है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि यह एकमात्र नया स्तनपायी है। वहीं नए प्राइमेट्स, एक कलरलेस गुफा मछली और एक इंद्रधनुषी सांप भी शुमार है। इस खास प्रजाति के सांप में तराजू की तरह असामान्य स्केल पैटर्न होते हैं। लाओस में पाए जाने वाले एकमात्र ज्ञात रसीले बांस प्रजातियों सहित दर्जनों नए पहचाने गए रेप्टाइल्स, मेंढक और नवजात, मछली और 155 पौधों की प्रजातियां भी हैं।

यहां जीवों को आवास के नुकसान का खतरा है। वियतनाम में रिसर्चर ने चोटी पर करीब 2,000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर चमकीले रंग का माउंट क्यू क्वान सैन सींग वाला मेंढक की उपस्थिति भी देखी गई है। दरअसल मेकांग इलाका जंगलों पहाड़ों और कार्स्ट संरचनाओं के साथ एक बेहद महत्वपूर्ण जैव विविधता का हॉटस्पॉट है। यह स्थान दुनिया के बेहद प्रभावशाली और सबसे लुप्तप्राय बाघों, एशियाई हाथियों और मेकांग विशाल कैटफ़िश समेत कई प्रजातियों का घर माना जाता है।

वैज्ञानिकों ने नई प्रजातियों के जानवरों और पौधों की विशेषताओं के और प्रमुख अंतरों की तुलना की। फिर इनकी पहचान करने के लिए संग्रहालय संग्रह से माप और नमूनों का इस्तेमाल किया गया। दरअसल नई प्रजातियों की पहचान बेहद मुश्किल होता है, इसके लिए कई तरीकों का उपयोग होता है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि म्यांमार के ऊपरी इलाकों में लाल रंग के फूल समेत नई तरह के बेगोनिया और बेरी जैसे फल भी मिले हैं। जंगली इलाकों में मानव के बढ़ते अतिक्रमण के बावजूद भी ग्रेटर मेकांग के अधिकांश भाग में हर साल दर्जनों नई प्रजातियां मिलती हैं। इससे जो विलुप्त हो रही प्रजातियों के बीच एक अच्छा संकेत माना जा रहा है।