दोस्ती के बारे में किसी ने क्या खूब कहा है कि ‘मैं रोशनी में अकेले चलने की अपेक्षा अंधेरे में दोस्त के साथ चलना ज्यादा पसंद करूंगा, जींहा दोस्ती का जज्बा है ही ऐसा, जहां फ्रेंडशिप होती है वहां किसी सुख-दुख, फायदे नुकसान के बारे में नहीं सोचा जाता। दोस्ती धर्म, जाति संप्रदाय, जेंडर से उपर उठकर निभाई जाती है। फिर चाहे वो कृष्ण सुदामा की मित्रता हो या फिर सिल्वर स्क्रीन पर दिखाई जय वीरु की जोड़ी। वैसे दोस्ती किसी एक दिन की मोहताज नहीं होती।

भारत में अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है फ्रेंडशिप डे

दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे अलग- अलग दिन मनाया जाता है। इसकी शुरुआत के कुछ समय बाद यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका ने इस दिन को अगस्त के पहले रविवार को मनाना शुरू किया। यहीं से फ्रेंडशिप डे दक्षिण एशिया पहुंचा। जिसका अनुसरण करते हुए भारत के साथ पूरे दक्षिण एशिया और दूसरे देशों में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाने लगा।

30 जुलाई को मनाया जाता है इंटरनेशनल फ्रेंडशिप डे

कहा जाता है हॉलमार्क काडर्स के संस्थापक अमेरिकी जॉयस हॉल ने फ्रेंडशिप डे की नींव रखी थी। उन्होंने अपने एक दोस्त को ग्रीटिंग कार्ड भेजकर फ्रेंडशिप डे मनाया था। लेकिन दुनिया में इस दिन को पहचना दिलाने का काम दक्षिण अमेरिकी देश पराग्वे के डॉक्टर रेमन अरटेमिओ ब्राचो ने किया। 20 जुलाई 1958 को डॉक्टर रेमन अपने कुछ खास दोस्तों के साथ पराग्वे से 200 मील दूर पुएर्तो पिनास्को नामक शहर में डिनर कर रहे थे। तभी उन्हें ख्याल आया कि क्यों न साल में एक दिन फ्रेंड्स के नाम समर्पित कर दिया जाए। यह बात उन्होंने अपने दोस्तों को बताई जिसके बाद यहीं से फ्रेंडशिप डे वजूद में आया। तभी से पराग्वे में हर साल 30 जुलाई का दिन फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाने लगा।

धीरे-धीरे सभी दक्षिण अमेरिकी देशों में फ्रेंडशिप सेलीब्रेट किया जाने लगा। पराग्वे से शुरू हुआ यह सफर आज दुनिया के हर कोने तक पहुंच चुका है। नए जमाने में कार्डस की जगह फ्रेंडशिप बैंड और गिफ्ट्स ने ले ली है। 27 अप्रैल 2011 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में 30 जुलाई को आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस के रूप में घोषित किया गया था।

पुराणों में है श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का वर्णन

भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। उज्जैन के महर्षि सांदीपनि के आश्रम में श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा एक साथ शिक्षा ग्रहण की थी। गुरुकुल में ही श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई थी। दोनों एक साथ रहते, पढ़ते और अनेक विद्याएं सीखते थे। जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश हो गए थे और सुदामा गरीब ही रहे। एक बार सुदामा की पत्नी ने उन्हें श्रीकृष्ण से मदद मांगने के लिए द्वारिका भेजा। द्वारिका पहुंचने पर सुदामा को महल के सैनिकों ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया।

जब श्रीकृष्ण को सुदामा के बारे में पता चला तो वे स्वयं सुदामा को लेने पहुंचे। उन्होंने सुदामा का आदर सत्कार किया। बिना सुदामा के बताए वो उनकी समस्या समझ गए और बिना मांगे सुदामा की मनोकामना पूरी की। भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती से यही सीख मिलती है कि दोस्ती में अमीरी-गरीबी को महत्व नहीं देना चाहिए।

बॉलीवुड फिल्मों में दोस्तों की जोड़ी

फिल्मों में दोस्तों की बात आती है तो सबसे पहला नाम आता है जय-वीरु की दोस्ती का। शोले फिल्म में दोस्त के लिए अपनी जान न्योछावर करने वाले 'जय' याने अमिताभ बच्चन और 'वीरु' याने धमेंद्र को दोस्ती का पर्याय तक कहा जाता है। वहीं दिल चाहता है, रॉकऑन, थ्री इडियट्स, कुछकुछ होता है, मुन्नाभाई एमबीबीएस, रंग दे बसंती, ज़िंदगी न मिलेगी दोबारा, सोनू की टीटू की स्वीटी जैसी कई फिल्मों में दोस्ती के किस्से लोगों को पसंद आए।

दोस्त, इंसान को विरासत में नहीं मिलते। यह रिश्ता जो जन्म से नहीं जुड़ता। इस रिश्ते को किसी खास बंधन की जरूरत नहीं होती, बावजूद इसके यह रिश्ता जीवन की बगिया को खूबसूरत बनाता है महकाता है। फ्रेंडशिप डे मौका देता है कि लोग अपने दोस्तों के साथ फिर मिल-बैठकर वक्त गुजार सकें। लेकिन कोरोना काल में मिलना तो संभव नहीं है,ऐसे में वर्चुअल दुनिया से सहारे ही Friendship Day मनाया जा रहा है।